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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५८ मुंबई के जैन मन्दिर ___ जिनालय के बाहर की ओर एक तरफ नौ देहरियों में श्री नाकोडा भैरुजी, श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री बटुक भैरव, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री अंबिका देवी, श्री सरस्वती देवी, श्री पद्मावती देवी, श्री महाकाली देवी बिराजमान हैं। यहाँ सेठ श्री मणिलाल चत्रभुज गाँधी वर्धमान तप आयंबिल शाला, श्री हरिबहन हरगोविन्ददास पाठशाला, विशाल व्याख्यान भवन, ज्ञान भण्डार के अलावा श्री कच्छी दशा ओसवाल जैन सर्वोदय मण्डल, श्री चन्दनबाला जैन भक्ति मण्डल, श्री राजस्थान जैन महिला मण्डल, श्री वासुपूज्य जैन महिला मण्डल, श्री पार्श्वचन्द्र महिला मंडल, श्री झालावाड महिला मण्डल, श्री महावीर जैन स्नात्र मण्डल, श्री जिनेन्द्र भक्ति मण्डल, श्री प्रेरणा मण्डल, श्री भक्ति मण्डल, श्री वर्धमान संस्कृति धाम आदि संस्थाओं की व्यवस्था हैं। (३८९) श्री सर्वोदय पार्श्वनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय ___सर्वोदय पार्श्व नगर, नाहुर रोड, मुलुण्ड (प.), मुम्बई-४०० ०८०. टे. फोन : ५६८ ३० १६, ऑफिस : सुखराजजी- ४९४ ८४ २५, ४९२ २७ ८४. विशेष :- श्री पार्श्व चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा इस भव्य जिनालय की प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य श्री दर्शनसागरसूरीश्वरजी म., आ. श्री नित्योदयसागरसूरीश्वरजी म. एवं पन्यासजी श्री चन्द्रानन सागरजी म. की पावन निश्रामें वि.सं. २०४८ का जेठ सुदि ६ को हुई थी। ___ यहाँ के जिनालय में पाषाण की ११ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी एवं सिद्धचक्रजी - ४ तथा गुरु गौतम स्वामी एवं गुरुदेव आ. श्रीमद् राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. की प्रतिमाजी बिराजमान है। इसके अलावा यहाँ श्री मणिभद्रवीर, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री पद्मावतीदेवी तथा पार्श्वयक्ष - यक्षिणी भी सुशोभित हैं । यहाँ उपासरा, जैन पाठशाला, सर्वोदय संस्कृति केन्द्र, सर्वोदय पार्श्व युवक मण्डल, सर्वोदय पार्श्व जैन महिला मण्डल की व्यवस्था है। सुप्रसिद्ध भवन निर्माता भिनमाल निवासी श्रीमान श्रेठीवर्य शाहजी शा. सुखराजजी बाबुलालजी नाहर सुप्रसिद्ध समाज सेवक हैं। आपके ही तन मन धन से इस विशाल अति उत्तम शिखरबंदी जिनालय का निर्माण हुआ हैं । २४ तीर्थंकर प्रभु के नामो की सदैव याद आती रहे, इसी उद्देश्य से यहाँ २४ बिल्डिंगो का नाम २४ भगवन्तो के नाम पर रखा गया हैं। ऐसे निर्माता को धन्यवाद दिये बिना भला हम कैसे रह सकते हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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