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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५६ मुंबई के जैन मन्दिर मुलुण्ड (पश्चिम) (३८८) श्री वासुपूज्य भगवान भव्य शिखर बंदी जिनालय झव्हेर रोड, मुलुण्ड (प.) मुम्बई-४०० ०८०. टे.फो ऑफिस : ५६७ ११ ७६, विजयभाई - ५६१ ५३ ५२, जितुभाई - ५६८ ०५ ४३ विशेष :- मुलुण्ड - मंगलापुरी टाऊन प्लानींग के आयोजक श्री झव्हेरभाई रामजी शाह को, अपनी तथा अपने वंशज की चिर स्मृति इस देवस्थान निर्माण के शुभ कार्य के साथ होती रहे, यह भावना थी। इसवीसन १९२१ के साल में ३६००० चौरस फुट का विशाल प्लोट १३५०० रू. की किमत से अपने लघुबंधु श्री हरगोविन्ददास रामजी हस्तक खरीदने में आया और उसके बाद ३ वर्ष में इस प्लोट पर श्री देरासरजी एवं उपाश्रय के उपयोग के लिये जुना जिनालय, उपाश्रय का मकान, कुआँ, कंपाउंड की दिवार वगैरह आसरे कुल १७००० रू. के खर्च से बाँधने में आया, जिस कार्य में श्री हरगोविन्ददास रामजी तथा अमरचन्द घेलाभाई गाँधीने सहकार दिया था। तारीख ७-१२-१९४२ को यह सारी मिल्कत श्री मुलुण्ड - तपागच्छ जैन संघ को अर्पण करने में आई थी । ई. सन १९५० में उपर्युक्त संघ का विसर्जन होने के बाद यह सारी मिल्कत श्री मुलुण्डश्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ को ता. १६-१२-१९५० को अर्पण करने में आई थी। शासन सम्राट आचार्य श्री नेमिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य श्री विजय अमृतसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रामें वि.सं. २००९ का फागुण सुदि ५ को नूतन जिनालय की भव्य प्रतिष्ठा सेठ वाडीलाल चत्रभुज गाँधी जे.पी. तथा सौ. भानुमती वाडीलाल के शुभ हस्तक सम्पन्न हुई थी। __ शिखर के गंभारे में चउमुख प्रतिमाओं में श्री धर्मनाथजी की प्रतिमा चेम्बुर तीर्थ से लाकर वि.सं. २०३३ का माह सुदि ६ के दिन पूज्यपाद युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रा में श्री शत्रुजय महातीर्थ पदयात्रा संघ के २००० पद यात्रिको की उपस्थिति में धामधूम से प्रतिष्ठित की गई थी। मूल गंभारे के बाहर शिलालेख के अनुसार स्वर्गस्थ मातुश्री नर्मदाबाई चेरीटेबल ट्रस्ट की तरफ से २५००१ रू. का सहयोग मिला था। श्री जैन संघ को मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी की प्रतिमाजी सेठ नरशी नाथा टुंक शत्रुजय पालिताणा की तरफ से बिना नकरा से वि.सं. १९८७ को भेट मिली थी; सुपार्श्वनाथजी की प्रतिमाजी वरकाणा मारवाड के भण्डार मे से लाकर स्व. बहन श्री राणबाई हीरजी की तरफ से श्री संघ को भेट मिली थी वि.सं. १९८७ को; श्री महावीर स्वामी की प्रतिमाजी वरकाणा मारवाड के भण्डार में से लाकर स्व. बाई हरिबाई मगनलाल कुंवरजीने संवत १९८९ में श्री संघ को भेट दी थी। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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