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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५४ मुंबई के जैन मन्दिर धर्मसूरीश्वरजी म. सा. की शुभ प्रेरणा से चेम्बुर तीर्थ में अंजनशलाका की हुई प्रतिमाजी की वि. सं. २०३१ का श्रावण वदि-११ को आपकी निश्रा में चल प्रतिष्ठा हुई थी। ___इसके बाद यहाँ नूतन भवन का निर्माण हुआ एवं पुन:प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य श्री दर्शन सागरसूरीश्वरजी म. आ. श्री नित्योदयसागरसूरीश्वरजी म. एवं पन्यासजी श्री चन्द्राननसागरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४० का वैशाख सुदि ५, रविवार, तारीख ६-५-८४ को हुई थी। यहाँ श्यामवर्णीय श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान (सपरिकर) तथा आजुबाजु में श्री महावीर स्वामी, श्री अजितनाथ भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, विसस्थानक - १, यन्त्र - ३ तथा मणिभद्रवीर, महालक्ष्मी सुशोभित हैं। बाहर की ओर श्री नाकोडा भैरूजी, श्री घंटाकर्णवीर, श्री अंबिका देवी, श्री चक्रेश्वरी देवी की देहरीया दर्शनीय हैं। यहाँ के उपाश्रय हॉल के लकी ड्रो के प्रथम विजेता शा. चुनीलालजी वीरचन्दजी का नामकरण हुआ था । गैलरी हॉल का नामकरण बांकली निवासी शा. वरदीचन्दजी हिन्दुजी साकरीया हुआ था। श्री वर्धमान तप आयंबिल शाला का हॉल कवराडा निवासी शा. कपुरचन्दजी हंसाजी वरदरीया परिवार वालो की तरफ से बनाया गया था। इस भवन का खात मुहूंत एवं शिलान्यास वि. सं. २०३८ का माह सुदि ६, रविवार को हुआ था। इस भवन के ग्राउण्ड फ्लोर पर आयंबिल शाला, प्रथम माला उपाश्रय, दूसरा माला मंदिरजी से शोभायमान हो रहा हैं। यहाँ श्री राजस्थान पार्श्व महिला मंडल, श्री सुमतिनाथ महिला मंडल, श्री सुमतिनाथ जैन पाठशाला एवं श्री सुभय जैन सोश्यल ग्रुप की व्यवस्था हैं । (३८६) श्री शीतलनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय ९, देरासर लेन, फरीद नगर, प्रतापनगर रोड, भांडुप (प.), मुंबई - ४०० ०७८. टेलिफोन नं.-५६५ ०२५८, ५६७ ६८ ५४ - पुखराजजी, ५६१ ७४ १४ चंपालालजी विशेष :- सर्व प्रथम यहाँ प्रवचन प्रभावक आचार्य भगवन्त श्री विजय मोहन - प्रताप के पट्टधर पूज्य पाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. साहेबजी की प्रेरणा से वि. सं. २०२५ का जेठ सुदि ६ को चल प्रतिष्ठा हुई थी। फिलहाल यहाँ मूलनायक श्री शीतलनाथ सहित पाषाण की ५ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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