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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर (३१४) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय शंखेश्वर दर्शन कम्पाउन्ड में, अनन्त गणपत पवार क्रॉस लेन नं. २, वॉल्टस या जयहिन्द टॉकिज के पीछे, चींचपोकली क्रॉस लेन, भायखला (पूर्व), मुंबई - ४०००२७. टे. फोन : सोकलचंदजी - ३७१६९४७, ३७१०९४७, जयंतीलालजी - ३७२३०८३, ३७२ ९७ ७१, ३७३ २७५० (घर) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विशेष : श्री शंखेश्वर दर्शन जैन संघ द्वारा निर्मित इस शिखर बंदी जिनालय की प्रतिष्ठा परम पूज्य लब्धिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य भगवन्त विजय यशोवर्मसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. संवत २०४९ का वैशाख सुद६ को धाम धूम के साथ हुई थी । (३१५) - यहाँ मूलनायक श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु तथा आजूबाजू में श्री आदिनाथ प्रभु तथा श्री शान्तिनाथ प्रभु वगैरह कुल आरस की ६ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी ४, अष्टमंगल १ के अलावा पार्श्वयक्ष, पद्मावतीदेवी, श्री चक्रेश्वरी देवी, श्री नाकोडा भैरूजी तथा दिवार पर आरस की सुन्दर खुदाई किये गये शत्रुंजय व गिरनार तीर्थ के पट सुशोभित है। मंदिरजी के बायी और आ. विजय वल्लभसूरीश्वरजी म. साहेबजी की गुरूप्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। विशेष सूचना : प्रत्येक महिने की पूर्णिमा को यहाँ आनेवाले दर्शनार्थीओ के लिये श्री संघ की तरफ से भाता की व्यवस्था हैं । ॐ ॐ घोडपदेव - फेरबंदर २०१ श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर बाडा वाला चाल, डी. पी. वाडी, घोडपदेव - फेरबंदर, मुंबई - ४०० ०३३. टे. फोन : सोकलचन्दजी - ३७१६९४७, ३७१०९४७, जयंतीलालजी - ३७३२७५०, ३७२९७७१ (घर), ३७२३० ८३ (ओ.) विशेष : परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय मोहन प्रताप के पट्टधर युगदिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. आदि की पावन निश्रा में वि. सं. २०२८ का माह वद १० को मेहमान के रूप मे प्रभुजी बिराजमान किये गये थे, फिर वि. सं. २०३२ का फागुण सुद ७ को आपश्री के शिष्यरत्न पू. मुनिराज श्री कनकविजयजी ( वर्तमानमें) पू. आ. श्री विजयकनकरत्नसूरीश्वरजी) म. सा. आदि मुनि भगवंतो की प्रभावक निश्रा में चल प्रतिष्ठा हुई थी । - For Private and Personal Use Only इस गृह मन्दिर में चेम्बुर तीर्थ से प्राप्त मूलनायक मुनिसुव्रत स्वामी तथा आजूबाजू में श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथ एवं सुपार्श्वनाथ भगवान के साथ आरस के ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के ७ प्रतिमाजी, सिद्ध चक्रजी ४, अष्टमंगल - १ तथा यक्ष- यक्षिणी व नाकोडा भैरूजी बिराजमान हैं। उपासरा, धर्मशाळा तथा आयंबिल भवन में ओलीयो के दिनो में आयंबिल कराये जाते हैं । मन्दिरजी के बाजू में ही श्री अचलगच्छ जैन संघ द्वारा संचालित श्री शामजी जेठाभाई छेडा जैन उपाश्रय एवं विविध लक्षी होल हैं।
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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