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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- इस शिखरबंदी जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ जैन संघ भायन्दर (प.) हैं । भायन्दर नगरी का यह प्रथम जिनालय है, जिसकी प्रतिष्ठा सिद्धान्त महोदधि आ. भगवन्त विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. १९९८ का फागुण सुदि १० को भव्य महोत्सव के साथ हुई थी। यहाँ मूलगंभारे में पाषाण की ३ प्रतिमाजी श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ, श्री महावीर स्वामी, श्री धर्मनाथ प्रभु तथा आजूबाजू में दोनो कमरो में मूलनायक महावीर प्रभु के साथ ५-५ प्रतिमाजी सुशोभित हैं, कुल पाषाण की १३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ९ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ७ एवं अष्टमंगल - १ बिराजमान हैं। इसके अलावा श्री पुंडरीकस्वामी, श्री गौतमस्वामी, श्री नाकोडा भैरुजी, श्री घंटाकर्ण वीर, श्री पार्श्वयक्ष एवं पद्मावती माताजी तथा श्री शत्रुजय पट और गिरनारजी पट भी दर्शनीय हैं। यहाँ वि.सं. १९६८ आसौ सुदि १ को स्थापित किया हुआ प्राचीन उपासरा हैं। यहाँ एक और भी उपासरा है, तथा शिवगंज निवासी श्री कंकूबाई द्वारा भेट की गई कंकुबाई धर्मशाला भी हैं। यहाँ चैत्र आसौ महिने में आयंबिल करने की व्यवस्था हैं । यहाँ चिन्तामणि जैन पाठशाला, श्री महावीर महिला मंडल तथा राजस्थान महिला मंडल की व्यवस्था हैं। परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय दक्षसूरीश्वरजी म. के शिष्य पंन्यासजी श्री प्रभाकर विजयजी म. की शुभ पेरणा से दक्ष-बंबोरी आराधना भवन का निर्माण हुआ हैं। जिसका उद्घाटन १३-८१९९५ को श्रेष्ठिवर्य श्री मोहनराजजी देवीचन्दजी बंबोरी के हस्तक हुआ था। (२५८) श्री आदिनाथ भगवान गृह मन्दिर शिवसेना ऑफिस के सामने, डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर रोड, साठ फिट रोड, भायन्दर (प.), ___जि. थाणा (महाराष्ट्र)-४०१ १०१. टे. फोन : ८०५ ०३ १३ सूर्यकान्तभाई, ८१९ २१ १० - चन्दनमलजी विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री विजयरामसूरिजी ज्ञान मन्दिर ट्रस्ट हैं। परम पूज्य आचार्य विजय रामसूरीश्वरजी म. (डेहलावाले) के शिष्यरत्न परम पूज्य आचार्य विजय अभयदेवसूरीश्वरजी म., पूज्य गणिवर्य हरिभद्र विजयजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में ९ दिनों के महामहोत्सव के साथ वि.सं. २०४३ का माह सुदि ३ रविवार ता. १-२-८७, वीर संवत २५१३ में प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ८ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ५, विशस्थानक - १ अष्टमंगल - १ सुशोभित हैं। श्री पद्मावती देवी, श्री घंटाकर्ण वीर, आ. सुरेन्द्रसूरीश्वरजी म. की मूर्ति बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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