SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 224
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३४ मुंबई के जैन मन्दिर यहाँ पंच धातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १, अष्टमंगल १ शोभायमान हैं। (२१६) श्री आदीश्वर भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय २६३, सरदार वल्लभभाई पटेल रोड, मंडपेश्वर रोड, पाईनगर के बाजू में बोरिवली (प.), मुंबई - ४०० ०९२. टे फोन : ८९१ ६१ २४, दलीचन्दजी - ८०१ ४२ ०४, सुरेशभाई - ८९३ २६ ८० विशेष :- इस भव्य शिखरबंदी जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री बोरिवली जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ संघ हैं। यहाँ सर्व प्रथम मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी का गृह मन्दिर था । इस श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी की प्रतिमा की अंजनशलाका पूज्यपाद युग दिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०३२ में चेम्बुर तीर्थ में हुई थी और वहाँ से यह प्रतिमा आपश्री की प्रेरणा से प्राप्त हुई थी। बाद उसकी चल प्रतिष्ठा २०३४ का वैशाख सुदि ६ रविवार ता. २७-५-७८ को परम पूज्य नेमि - विज्ञान - कस्तुरसूरि के पट्टधर आ. विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. के शिष्य पन्यासजी श्री जयचन्द्रविजयजी म. की शुभ निश्रा में हुई थी। बाद में संघ के पुण्यबल से एक विशाल गगनचुम्बी जिनालय का निर्माण हुआ। जिसकी प्रतिष्ठा परम पूज्य नेमि विज्ञान कस्तूरसूरि समुदाय के आ. श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०३७ का वैशाख सुद ३-अक्षय तृतीया के दिन हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री आदीश्वर प्रभु सहित पाषाण की ७ प्रतिमाजी, पंच धातु की ९ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी २, विसस्थानक १ तथा अष्टमंगल १ बिराजमान हैं। परम पू.आ. यशोभद्रसूरीश्वरजी म. (डेहलावाले) की पावन निश्रा में वि.सं. २०५२ का श्रावण सुदि २ को मंगलमूर्ति स्थापना का भव्य महोत्सव हुआ था जिसमें जितेन्द्रभाई, रसिकलाल वालचन्द विनोदचन्द्र प्रेमचन्द परिवार की तरफ से मंगलमूर्ति का लाभ लिया गया था तथा जशवंतलाल चिमनलाल, सुरेशभाई जेसींगलाल, नविनचन्द्र अमृतलाल परिवारवालो की तरफ से दिक्पाल देवो वगैरह की स्थापना करने में आई थी। यहाँ साधु-साध्वीजी म. का उपासरा, जैन पाठशाला, श्री आदिनाथ महिला मंडल, आदिनाथ सामायिक मंडल, स्नात्र मंडल, बैण्ड पार्टी तथा कायमी आयंबिल शाला की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy