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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १३२ www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर पाठशाला, साधर्मिक भक्ति की संघ की तरफ से विशेष व्यवस्था हैं। वर्धमान तप आयंबिल खाता, जैन पाठशाला, जैन ज्ञानमंदिर आदि श्रेष्ठ व्यवस्था है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यहाँ कच्छी - गुजराती एवं राजस्थानी तीनो संघ के भाई मिलकर जिनालय उपाश्रयादि का संचालन अच्छी तरह से कर रहे हैं । (२१२) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर संभव दर्शन, २०३ A बिल्डींग, दूसरा माला, जांबली गली, जैन देरासर लेन, बोरिवली (प.), मुंबई - ४०० ०९२. दे फोन : ८९८ ४२१६ (२१३) विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री खीमजी भुराभाई रांभीया हैं । आपके गृह मन्दिर की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि भगवंतो की शुभ निश्रा में वि.सं. २०४९ का वैशाख वद ७ को हुई थी, इस दिन परम पूज्य आ. विजय हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. भी पधारे थे । यहाँ पंच धातु की १ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी १ बिराजमान हैं । श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर - ९, मंगल कुंज, जांबली गली, देरासर लेन, स्वामी विवेकानन्द रोड, बोरिवली (प.), मुंबई - ४०० ०९२. दे फोन : ८९८ २८५६ विशेष :- पूज्यपाद आ. श्री विजय जयघोषसूरीश्वरजी म. के शुभ आशीर्वाद से एवं पूज्य मुनिराज श्री मुक्तिदर्शन विजयजी म. पूज्य मुनिराज श्री संयमदर्शन विजयजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०५० का वैशाख सुदि ५ तारीख १३ - ५ - ९४ सोमवार को चल प्रतिष्ठा हुई थी । इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक स्व. वीरचन्द धारशी मेहता तथा स्व. मणिबेन वीरचन्द मेहता के सुपुत्र श्री कान्तिलाल वीरचन्द मेहता हैं । आप श्री के सुपुत्र मनोजने संयम अंगीकार किया एवं पन्यासजी श्री चन्द्रशेखर विजयजी म. के शिष्यरत्न श्री मनोभूषणविजयजी म. नाम से रोशन हुए। उसके बाद वि.सं. २०५३ का माह सुद १० को कान्तिलालभाईने भी दीक्षा ग्रहण की, जो यशोभूषण विजयजी म. के शिष्य बनकर कीर्तिभूषण विजयजी म. नाम से मुनिराज बने । वर्तमान I For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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