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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १२१ स्वामी व श्री पद्मावती देवी की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। ओफिस के एक तरफ श्री घंटाकर्ण वीर देहरी भी शोभायमान हैं। ___ यहाँ श्री पार्श्वभक्ति सहाय मंडल, श्री विजय भक्तिसूरि जैन पाठशाला, श्री भक्तिसूरि महिला मंडल तथा श्री वर्धमान जैन भक्ति मंडल की व्यवस्था हैं। (१९६) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर बी-२ किशोर केन्द्र, ग्राउण्ड फ्लोर, इराणी वाडी, शान्तिलाल मोदी क्रॉस रोड नं. २, कान्दिवली (प.) मुंबई - ४०० ०६७. टे. फोन : ८०८६२६२ विशेष :- इस गृह मन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री रमेशभाई जीवनलाल मोदी परिवार हैं। आप श्री के गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य भुवन भानु सूरीश्वरजी म. के पन्यासजी श्री चंद्रशेखर विजयजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५१ का माह वद १३ को हुई थी। यहाँ पंच धातु की एक प्रतिमाजी तथा , एक सिद्धचक्रजी तथा गुरु गौतम की पंचधातु की एक प्रतिमाजी बिराजमान हैं। (१९७) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय शंकर गली, महावीर नगर, विजय वल्लभ सूरीश्वरजी मार्ग, कान्दिवली (प.) मुंबई - ४०० ०६७. टे. फोन : ओ.- ८६३ ४६ २८, ८०८ ०७ ३२ बाबुभाई विशेष :- जमीन से करीब १७ पगथीयो के उपर तथा प्रवेशद्वार के बाहर की ओर दोनो तरफ दो हाथी और दो सिंह की शोभा देखते हुए जिनालय में प्रवेश करते हैं। इस भव्य जिनालय के संस्थापक एवं संचालक श्री महावीर नगर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ हैं। इसका भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव परम पूज्य योगनिष्ठ जैनाचार्य श्रीमद् बुद्धिसागर सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. कैलाशसागर सूरीश्वरजी म. के आ. श्री पद्मसागर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में वि. सं. २०४७ का मगसर वद ५ गुरुवार ता. ६-१२-९० को हुआ था। यहाँ जिनालय में मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी तथा आजूबाजू में श्यामवर्णी पाषाण के श्री मुनिसुव्रत स्वामी एवं श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ सहित पाषाण की ७ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ तथा अष्टमंगल भी हैं। इसके अलावा श्री पद्मावती देवी व श्री चक्रेश्वरी देवी भी पाषाण की बनी हुई बिराजमान हैं। यहाँ लीलावतीबेन पोपटलाल वखारीआ आराधना भवन, श्रेष्ठिवर्य कांतिलाल मोहनलाल शाह For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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