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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९६ मुंबई के जैन मन्दिर मूर्तिपूजक संघ हैं। शासन सम्राट् आचार्य विजय नेमिसूरीश्वरजी म. समुदाय के आ. विजय सद्गुणसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में भावचीबाई मावजी मुरजी गोशर समस्त परिवार गाम (कच्छ देवपुर) हस्ते श्री गांगजीभाई ने चल प्रतिष्ठा का चढावा लेकर भगवान बिराजमान किये हैं। वि. संवत २०४७ के चैत्र सुद १ रविवार को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री महावीर स्वामीजी की श्वेत आरस की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ तथा जिनालय में श्री शत्रुजय व गिरनार तीर्थ पट भी अति सुन्दर दर्शनीय हैं। यहाँ श्री महावीर महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। गोरेगाँव (पूर्व) (१५२) श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर जयप्रकाश नगर, सोनाल एपार्टमेन्ट के कम्पाउन्ड में, गोरेगाँव (पूर्व) मुंबई - ४०० ०६२. ___टे. फोन : बाबुलालजी ओ. ८७३ ४३ ६५, घर - ८७४ ३७ १५ विशेष :- मन्दिरजी के लिये सेठ श्री पोपटलाल प्रेमचन्दने अपने खर्च से जमीन को खरीदकर श्री संघ को भेट किया था। परम पूज्य आचार्य लब्धि - लक्ष्मणसूरि के शिशु आ. विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से एवं उन्ही की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३३ का श्रावण वद १२ को प्रतिमाजी स्थापित किये थे। उसके बाद पुन: चलप्रतिष्ठा आचार्य श्री विजय कीर्तिचंद्रसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा मे वि. सं. २०४५ का मगसर सुद २ रविवार हुई थी। यहाँ आरस की मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान तथा आजूबाजू में श्री शांतिनाथ एवं श्री कुंथुनाथ की ३ प्रतिमाजी, पंचधातुकी - ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - १ तथा गोमेध यक्ष तथा चक्रेश्वरी देवी के गोखले के अलावा श्री शत्रुजय, श्री सम्मेत शिखरजी, श्री गिरनारजी दर्शनीय हैं। यहाँ की प्रतिमाजी २३०० वर्ष पुरानी हैं । संप्रति महाराजा के समय की भराई हुई प्रतिमाजी है, जो की राजस्थान के सुप्रसिद्ध तीर्थ राणकपुर तीर्थ से लायी गयी हैं। फिल हाल गोरेगाँव (पूर्व) में यही एक गृह मन्दिर हैं। ( मलाड (पश्चिम) (१५३) श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ भगवान शिखर बंदी जिनालय आनन्द रोड, जगवल्लभ पार्श्वनाथ जैन मन्दिर रोड, रेलवे स्टेशन के सामने, मलाड (प.), मुंबई - ४०० ०६४. टे. फोन : ८८९ २२ ७४, ८८२ ६४ ५५ For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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