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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर श्रीमती इन्दुमती प्रतापराय व्याख्यान हॉल की अनावरण विधि सेठ अमृतलाल भाणजीभाई शापरीया तथा श्रीमती ताराबेन अंबालाल स्वाध्याय हॉल की अनावरण विधि सेठ श्री धरमदास रघुनाथजी शाह एवं श्री मालवाडा वर्धमान तप आयंबिल शाला की अनावरण विधि श्रीमती मणिबहन ईश्वरलाल मेहता के कर कमलो द्वारा हुई थी। पालीताएा निवासी मास्तर कुंवरजी दामजी जैन पाठशाला तथा मन्दिरजी के पीछे के भाग में आ. भगवन्त विजय लक्ष्मणसूरीश्वरजी म. का गुरु मन्दिर तथा मणिभद्र वीर देहरी सुशोभित हैं। ___ इस जिनालय में आरस की १८ प्रतिमाजी, पंचधातु की प्रतिमाजी व सिद्धचक्रजी आदि २५ का अंदाजा हैं। इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक श्री विलेपार्ले श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ एण्ड चेरीटीज विलेपार्ले (पूर्व) है। यहाँ श्री पार्श्वपूजक महिला मण्डल, श्री सामायिक मण्डल, श्री सुणतर अरिहंत स्नात्र महिला मण्डल, श्री चिन्तामणि पार्श्वपूजक महिला मंडल, श्री अरिहन्त भक्ति महिला मंडल प्रभु भक्ति में अग्रसर हैं। यहाँ श्री जैन धार्मिक पुस्तकालय की व्यवस्था है प्रति रविवार सुबह १०-१२ बजे तक। जैन युवक मण्डल की तरफ से मेहसाना मेन्शन तेजपाल रोड पर विलेपार्ले (पूर्व) में मेडिकल क्लीनिक की सेवा चालु है। (११६) श्री महावीर स्वामी भगवान गृह मन्दिर विजय निवास कम्पाउण्ड में, मालवीया रोड, मेन नेहरू रोड, विलेपार्ले (पूर्व), मुंबई - ४०० ०५७. टे. फोन : ओफिस -६११०९५२ खुशालभाई (ओ.) ६११ ३३ २५ (र.) ६१५ २२ ३० विशेष :- श्री अचलगच्छ जैन संघ विलेपार्ले (पूर्व) द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृहमन्दिर में वंगस्थ आचार्य गुणसागरसूरीश्वरजी म. की दिव्य कृपा, तपस्वीजी आचार्य श्री गुणोदयसागरसूरीश्वरजी म. के शुभाशिष तथा साहित्य दिवाकर आ. भगवन्त श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की शुभ निश्रा में वि. संवत २०५० का वैशाख सुदी १४ ता. २३५-९४ सोमवार को चल प्रतिष्ठा हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री महावीरस्वामी सहित पंचधातु की ८ प्रतिमाजी पाषाण की श्री संभवनाथ भगवान तथा श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ४, अष्टमंगल - १ तथा श्री पद्मावती देवी और श्री महाकालीदेवी भी बिराजमान हैं। वि. सं. २०३८. में स्थापित अ. सौ. मूलबाई मीठुभाई मावजी गडा रायधणजारवाला जैन उपासरा तथा महिला मण्डल की व्यवस्था हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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