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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर कनकरत्नसूरीश्वरजी म. प. पू. आ. भ. श्री महानन्दसूरीश्वरजी म., प. पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. आदि गुरु भगवन्तो की शुभ निश्रा में २०५४ का वैशाख वदि २, बुधवार, ता. १३-५-९८ को हुआ था। पांच दिन के भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव में विविध अनुष्ठानो, भव्य मंडपो में तरह तरह के भक्ति कार्यक्रम, रथयात्रा का शासन प्रभावक आयोजन, पूरे पांच - छ दिनो तक सुबह - दोपहर - शाम को साधर्मिक वात्सल्य - जमण की जोरदार व्यवस्था बनाई गई थी। राजमार्ग एवं जिनालय मंडप पर आकर्षक रोशनी, स्वागत - प्रवेशद्वार की रचना भी भारी किया था । नूतन बड़े जिनालयमें मूलनायक श्री संभवनाथजी के साथ श्री आदिनाथजी, श्री पार्श्वनाथजी की आरस की प्रतिमाजी बिराजमान हैं। प्रतिष्ठा समय, प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रेरक प. पू. आचार्य भगवंत श्री विजय सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा व मार्गदर्शनानुसार, मन्दिर के साथ भव्य उपाश्रय का भी निर्माण हुआ हैं । वहाँ श्री संघका कार्यालय, जैन पाठशाला और प्रवचनादि आराधना होती हैं और आप की प्रेरणा से श्री संघका कायमी साधारण फंड का भी आयोजन और जैन पाठशाला के लिए भी कायमी फंड का सुन्दर आयोजन हुआ था। मन्दिर के प्रथम निर्माण में और पीछे जीर्णोद्धार - नवनिर्माण में श्री सान्ताक्रुझ जैन श्वे. मू. तप. संघ - श्रीकुन्थुनाथ जिनालय का काफी सहयोग रहा हैं । श्री संघके धर्मभावनाशील और उत्साही कार्यकर्ता गण श्री संघके आराधना कार्य और विकास - आबादी के लिए सदा जागृत हैं यहाँ पर रामजी गांगजी धारसी अजाणी जैन पाठशाला चालू हैं और वाकोला श्री संभवनाथ जैन महिला मंडल भक्ति सेवा कार्यो में अग्रणी हैं। (१०६) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान शिखर बंदी जिनालय मालानी निवास, मानीपाडा कोलोनी, विद्यानगरी युनिवर्सीटी के सामने, सी. ओस. टी. रोड, कालीना सान्ताक्रुझ (पूर्व) मुंबई - ४०० ०९८. टे. फोन : ६११ ०६ ३२, ६११ २१ ५९ कुंवरजीभाई विशेष :- इस गृहमन्दिर का आद्य निर्माण परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री मोहन - प्रताप के पट्टधर प. पू. युगदिवाकर आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा व उनके मार्गदर्शनानुसार हुआ था और उनके आदेशसे चेम्बुर तीर्थ से लाई हुई श्री वासुपूज्य स्वामी प्रभुजी आदि ७ प्रतिमाओ की चलप्रतिष्ठा परम पूज्य लब्धि - लक्ष्मणसूरि शिशु शतावधानी आ. विजय कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि. सं. २०३२ का फागुण सुद ११ ता. १२-३-७६ शुक्रवार को गृह मन्दिरजी में हुई थी। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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