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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org छोटे बड़े सभी ग्रामों में पैदल सभी के घरो में भिक्षार्थ जाना, चय में आना, तथा राजा और हुए धर्मोपदेश देना वगैरह । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विहार करना, गरीब और श्रीमंत छोटे बड़े सभी लोगों के परिप्रजा - सभी का कल्याण चाहते २ जैनसाधु सर्वथा त्यागी होते हैं। उन्हें किसी चीज का लोभ या आकांक्षा नहीं रहती । वे स्वार्थरहित होने के कारण सच्ची सच्ची बात लिख और कह सकते हैं । इन कारणों से जैनसाधु द्वारा लिखा हुआ 'वृत्तान्त' विशेष प्रामाणिक और आदरणीय माना जाता है । किसी भी देश का इतिहास तद्देशवासी लोग इतना सत्य नहीं लिख सकते हैं जितना बाहर का दर्शक लिख सकता है। और उसमें खास कर के देशी रियासतों की प्रजा की स्थिति तो कुछ विचित्र ही होती है । इसी लिये भारतवर्ष की एक बड़ी रियासत के महाराजा अक्सर कहा करते थे, कि < बाहर के लोग मेरे राज्य में आवें। खूब सूक्ष्मता से प्रत्येक बातों का निरीक्षण करें, और फिर वे अपना सच्चा अभिप्राय प्रगट करें। मुझे इससे बडी खुशी होगी। मैं अपने दोषों को समझ सकूंगा । अपने राज्य में रही हुई त्रुटियों को दूर कर सकूंगा।' कितने उत्तम विचार ! वस्तुतः सच्चा इतिहास वही है जो किसी तटस्थ लेखक द्वारा लिखा गया हो, और ढाल की दोनों बाजूओं For Private And Personal Use Only
SR No.020479
Book TitleMeri Mevad Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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