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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३६ मीराबाई (सं० १५६६) था, उस समय मीराँ की अवस्था चालीस वर्ष की थी और जिस समय मुगल-सम्राट ने किसी कामिनी की रूप की निकाई देखने की इच्छा उत्पन होने का अवस्था प्राप्त की होगी, उस समय मीराँ यौवन की अंतिम सीढ़ी पार कर साठ वर्ष की बृद्धा हो गई होंगी। अतः साठ वर्ष की बृद्धा मीरों की रूपकी निकाई देखने के लिए बीस वर्षीय अकबर का गुप्त वेश में मेवाड़ जैसे सुदर प्रवेश की यात्रा करना हास्यास्पद नहीं तो और क्या है ! उपयुक कवित्त का एक दूसरा यह अर्थ भी हो सकता है कि सम्राट अकबर मीरों के इष्टदेव गिरधर लाल के रूप की निकाई देखने आया था और उसने वही देखा भी जैसा कि दूसरे चरण से स्पष्ट है कि भूप गिरधर लाल कि छबि देखकर निहाल हुअा और मीरों के इष्टदेव गिरधर लाल का मूर्ति के चरणों में एक सुखजाल मेंट चड़ाया। जान पड़ता है कि.सं. १६२४ में मेवाड़-विजय के उपरांत चित्तौर के रक्षक वारश्रेष्ठ जयमल (जिसकी वीरता ने सम्राट को मुग्ध कर रखा था ) की बहन मीराबाई की अद्भत कीर्तिनगाथा सुनकर उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि प्रकट करने के निमित्त गुणग्राही अकबर मीरों के नाम से प्रसिद्ध मंदिर में उनके इष्टदेव की मूर्ति के दर्शन के लिए गया होगा और उसा के आधार पर जनता में यह प्रासद्धि हो गई होगी कि सम्राट अकबर मीराँ के दर्शनों के लिए आया था। । सम्राट अकबर का मक्तों के दर्शन के लिए गुप्त वेश में यात्रा करने की और भी कितनी कथाएँ प्रसिद्ध हैं। महात्मा हरिदास के दर्शन के लिए 'तानसेन के साथ मुगल सम्राट का निधुवन जाना प्रसिद्ध ही है । 'दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता में बादशाह अकबर का गोविन्द स्वामी का गाना सुनने के लिए गोकुल में यशोदा घाट पर जाने और उनका भैरव राग सुनने की कथा मिलती है। और छातस्वामी की वार्ता में बादशाह अकबर का छिपकर जन्माष्टमी के पालना का दर्शन करने गोकुल में . दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता ( डाओर संस्करण सं० १९०६ ) गोविन्द स्वामी की वार्ता । प्रसंग १५ । पृष्ट ११ For Private And Personal Use Only
SR No.020476
Book TitleMeerabai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreekrushna Lal
PublisherHindi Sahitya Sammelan
Publication Year2007
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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