________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सटीक // 33 // त०४ // 69 // 70 // 71 // ततोमंत्रचतुष्टयेनमहाशंखपूजा // मंत्रचतुष्टयमाह // दीति // दीर्घत्रयं // | आईऊ // तद्युतामाया // सृष्टिःकः // सदीर्घय या // प्रतिष्ठाआकारस्तातंमांसलः // ला // a पवनोयः॥ हृदयनमः॥ हाह्रींहूँकालीकपालायनमःइत्येकोमंत्रः॥ 72 // 73 // हंसइति // हंसःसः॥ हरि / वृत्तंत्रिकोणसंयुक्तंकुर्यान्मंडलमंत्रतः // यजेत्तत्राधारशक्तिकच्छपनागनायकम् // 69 // आधार स्थापयेत्तत्रताराद्यस्त्रांगमायया // वह्निमंडलमभ्यय॑महाशंखनिधापयेत् // 70 // वामकर्णेन्दुयुक्ते नफडंतेनविहायसा // प्रक्षालितंभगंदंडित्रिमूर्तीन्दयुतंपठन // 71 // ततोर्चयेन्महाशंखजपन्मंत्रच तुष्टयम् // दीर्घत्रयान्वितामायाकालीसृष्टि सदीर्घयः॥७२॥प्रतिष्ठासंयुतंमांसंपवनोहृदयंततः॥ एकाद शार्ण प्रथमोमहाशंखार्चनेमनुः॥७३॥ हंसोहरिभुजंगेशयुतोदीर्घत्रयेंदुयुक्॥तारिण्यंतेकपालायनमोंतो द्वादशाक्षरः॥७॥खंदीर्घत्रयबिंदाढयमेषोवामहगन्वितः // लाकपालायहृदयंतृतीयोयंशिवाक्षरः७५ भुजंगेशोतरौ // ताभ्यांयुतः॥ तथादीर्घत्रयबिंदुयुतश्च॥स्वरूपमन्यत् ॥स्त्रास्त्रींबूँतारिणीकपालायनम इति द्वितीयः॥ 74 // खमिति // खंहः॥ दीर्घत्रयबिंदुयुतः॥ वामगन्वितोमेषः॥ ईयुतोनानी॥स्वरूपमग्रे // हाँहींहूँनीलाकपालायनमइतितृतीयः // 75 // // 33 // For Private and Personal Use Only