SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 464
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सटीक त. मं०म०स्वमंत्रेति ॥शंखमंत्रक्षालितंशंखम्।।अंसूर्यमंडलायद्वादशकलात्मनेदेवाऱ्यापावायनमःइतितमाधारेस्थाप येत् // 5 // व्यक्षिवर्णवांस्त्रयोविंशतिवर्णःअमुकपदस्थानेइष्टदेवतानामोच्चायरामाध्येत्यादि // शंखमंत्र 201 // माह // तारइति॥ कामाक्लीं॥ॐक्कींमहाजलचरायहुंफट्स्वाहापांचजन्यायनमइति // 6 // 7 // तत्रार्ककला स्वमंत्रक्षालितंशंखंस्थापयेन्मनुमुच्चरन् ॥अंमूर्यमंडलायांतेद्वादशेतिकलात्मने॥५॥ अमुकाध्यति पात्रायनमोंतस्यक्षिवर्णवान् // शंखस्थापनमंत्रोऽयंतारकामोमहाजलः॥६॥ चरायवर्मफट्स्वाहामां चजन्यायहन्मनुः॥ शंखस्यविंशत्पर्णाव्यस्तेनप्रक्षालयेत्तुतम् // 7 // कलाद्वादशसूर्य्यस्यशंखोपरिय जेत्क्रमात्।।विलोममातृकांमूलंविलोमंचपठजलैः ।।८॥आपूर्य्यमनुनेष्ट्वातंतत्राचेदैन्दवी कलाः॥सो ममंडलायांतेषोडशांतेकलात्मने॥९॥अमुकाामृतायेतिहृन्मनुश्चार्षपूजने।आह्वयेत्तत्रतीर्थानितन्म वशृणिमुद्रया॥१०॥रविमंडलतःस्वीयहृदोदेवमथाह्वयेत्॥अष्टकृत्वोजपेन्मंत्रस्पृष्ट्वाजलमनन्यधीः११॥ अप्सुविन्यस्यचांगानिहदासंपूजयेदपः।मूलंजपेदष्टशतंच्छादयन्मत्स्यमुद्रया॥ 12 // स्तपिन्याद्याःसंपूज्यविलोमेमूलमातृकेजपन्जलैस्तंसंपूर्य // ॐसोममंडलायषोडशकलात्मनेदेवार्ष्यामृता यनमइत्ययसंपूज्यतत्रतन्मंत्रसृणिमुद्रयागंगेचेत्यादितीर्थमंत्रणांकुशमुद्रयाऽर्कमंडलात्तीर्थमावाह्यस्वहृदो देवमावाहयेत् / / अंकुशमुद्रालक्षणमुक्तम्॥मत्स्यमुद्रोक्ता // 8 // 9 // 10 // 11 // 12 // Ro10 For Private and Personal Use Only
SR No.020473
Book TitleMantra Mahodadhi Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages545
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy