________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // 7 // 58 // 59 // मोहनमाह // रवाविति // अर्कमन्मथैर्द्वादशकामबीजैः // यथा // रविवारेहरिद्रां नारीदुग्धेनपिष्ट्वातद्रसेनभूर्जपत्रमध्येकामबीजयुतंवृत्तंकृत्वादशकामबीजैःसंवेष्टयपुनर्वृत्तंकृत्वाद्वादशकाम बीजैः संवेष्टयपुनर्वृत्तंकृत्वाषोडशबीजैःसंवेष्टयोपरिबीजयुक्षट्कोणकृत्वासर्ववाग्बीजमध्यस्थंकुर्यात् / कामाक्षिमायावीतेरूपिणीतिपदंततः // सीतेचमनोहारिण्यंतेस्तंभययुग्मकम् // 57 // रोधयाद्वि तयंपश्चान्मोहयद्वितयंपुनः // दीर्घत्रयाठ्यकामस्यबीजंकामोंतिमोभगी // 58 // कान्हेश्वरिततोव मंत्रयंपंचाशदक्षरः // प्रोक्तोमंत्रःप्रजप्तेस्मिञ्छत्रूणांस्तंभनंभवेत् / / 59 // वौहरिद्रामानीयपिट्वादु ग्धेनयोषितः॥ तद्रसेनलिखेटूर्नेवृत्तमंतस्मरान्वितम् // 60 // तदृत्तवेष्टयेत्कामबीजेर्दशभिरादरात् / / पुनर्वृत्तंप्रकल्प्याथवेष्टयेदर्कमन्मथैः // 61 // विरच्याथपुनर्वृत्तंवेष्टयेत्षोडशस्मरैः // तस्योपारष्टा षट्कोणकोणेषुमदनान्वितम् // 62 // तद्यंत्रोपरिस्थित्वापंचदिनप्रत्यहंसहस्रंदशाक्षरंजपेत् / / मंत्रोयथा // ॐकींकामायक्तींकामिन्यैक्तीमिति // जपदशांशेनतिलतैलेनैवजुहुयात् // तद्भस्मनातिलकेनतद्यंत्रधारणेनचविश्वमोहयेत् // 60 // 61 // 62 // For Private and Personal Use Only