________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ध्यानमाह // सिंहेति // खडोदक्षिणे // 107 // 108 // 109 // शत्रुनाशकमंत्रमाह // प्रणवइति // प्रणवःॐ सेन्दुःकेशवः // अं // सेन्दवःपंचवर्गाद्याकंचंटतपं // चन्द्रान्वितंवियतहं ॥रान्तंलः // सद्योजातः॥ शशां भकोबिन्दुस्ताभ्यांयुक्तालों // मायाहीं॥ कर्णचंद्राढ्याउ // बिन्दुयुतोऽत्रिर्दुः। सर्गीभृगुःसः॥वर्महुँ॥फट्स्वाहा सिंहारूढातिकृष्णांत्रिभुवनभयकृद्रुपमुग्रंवहंतीज्वालावत्रावसानानववसनयुगंनीलमण्याभकांतिः // शूलंखड्गंवहंतीनिजकरयुगलेभक्तरक्षकदक्षासेयंप्रत्यगिरासंक्षपयतुरिपुभिनिर्मितंबोभिचारम् // 7 // अयुतंप्रजपेन्मंत्रसहस्रंतिलराजिकाः // हुत्वासिद्धममुंमंत्रप्रयोगेषुशतंजपेत् // 8 // ग्रहभूतादिका विष्टंसिंचेन्मंत्रजपालैः // विनाशयेत्परकृतंयंत्रमंत्रादिकर्मणाम् // 9 // मंत्रविरोधिशमकंप वक्ष्येषोडशाक्षरम् // प्रणव केशव सेंदुर्वर्गाद्या पंचसेंदवः॥ 110 // वियचंद्रान्वितरांतसद्योजातःश शांकयुक् // मायात्रिकर्णचंद्राव्योभृगुःसर्गीसवर्मफट् // 11 // स्वरूपम्॥विधाताब्रह्मा // महापूर्वाःपर्वतादयः // महापर्वतमहासमुद्रमहाग्निमहावायुमहापृथ्वीमहाका शाःषदेवताः // 110 // 111 // For Private and Personal Use Only