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________________ Shri Maa Jain Aradhana Kendra mmm.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagasun Gyanmandir म. म. 281 // नम् // भैरवस्य पदांभोज भूयोऽस्या नौमि भूतये // 3 // एवं यथारुचि ध्यात्वा भैरवं प्रार्थयेत् // तत्र मंत्रः॥ "ॐ ह्रीं भैरवभैरवन - खं० / यकरहरमांरक्षरक्षहुंफट्स्वाहा” इति मंत्रेण प्रार्थयित्वा पटलस्थयंत्रपीठे आवाहनादिप्राण प्रतिष्ठाप्य षोडशोपचारैरन्यय॑ पुनः कामनापरत्वे भ० तं. न यथारुचि ध्यात्वा प्रार्थनामंत्रण प्रार्थयित्वा दीपदानं कुर्यात् // अथ दीपदानप्रयोगः॥मंत्राक्षराणां संख्याकैस्तंतुभिर्ब्रह्मसूत्रजैवर्ति दत्त्वा तरं०१० घृते नैव दीपं तत्र प्रदापयेत्॥अथ दीपदानमंत्रः॥“ॐ ह्रींश्रीक्लींहीश्रीवं सर्वज्ञाय महाबलपराक्रमाय वटुकाय नमः।। इमं दीपं गृहाण सर्व कार्यार्थ साधक दुष्टान्नाशयनाशय त्रासयत्रासय सर्वतो मम रक्षां कुरुकुरु फट् स्वाहा // " अनेन मंत्रेण दीपं दत्त्वा मूलमंत्रण त्रिराचम्य / हस्तौ प्रक्षालयेत्॥एवं दीपदानं समाप्य बलिदानं कुर्यात्॥अथ बलिदानप्रयोगः ॐ ह्रां नमः॥१॥ॐ ह्रीं नमः // 2 // ॐ कुं नमः॥३॥ एभिबीजेत्रिनिराचम्य मूलेन प्राणायामं कृत्वा देशकालौ संकीर्त्य ममामुकफलावाप्तये श्रीवटुकपीतये बलिदानमहं करिष्ये // इति || / संकल्प्य गणपतिं दुर्गी रक्तैश्चन्दनाक्षतपुष्पैरत्यर्च्य देवस्याग्रे त्रिकोणं चतुरस्र मण्डलं कृत्वा तत्र गंधाद्यैरत्यर्च्य पात्रस्थं कवलाकारं संपादितं बलिं निधाय गंधपुष्पाभ्यां मूलांते 'बलिरूपाय नमः' इति बलिं संपूज्य देवं तत्र संचित्य संपूज्य हस्ते बलिमादाय "ॐ एह्येहि देववटुकनाथ कपिलजटाभारभामुर त्रिनेत्र ज्वालामुख सर्वविघ्नान्नाशयनाशय सर्वोपचारसहितं बलिं गृहगृह स्वाहा एषबालर्बटुका शाय नमः" इति मंत्रेण बलिं दद्यात् // ततो देशकालौ संकीर्त्य मम सकलकामनासिद्ध्यर्थे श्रीबटुकभैरवस्तोत्रस्यैकादशसहस्रपुरश्चरणां गत्वेन प्रतिस्तोत्रंमूलमंत्रस्योत्तरशतसंख्याजपसंपुटितामुकसंख्यपाठमहं करिष्ये // इति संकल्प्य // मूलमंत्राष्टोत्तरशतवारं जपेत् // // 281 // 1 द्विविधो बलिराण्यातोराजसः सात्विको बुधैः।।राजसो मांसरक्ताड्यः पलवयसमन्वितः // मुद्रपायससंयुक्तो मधुरवयसंयुत ॥सात्विको मांसरहितः शेष जामन्यापुरोक्तस्त् // ब्राह्मणो नियतः शुद्धः सात्त्विकं बलिमाहरेत् // For Private And Personal Use Only
SR No.020472
Book TitleMantra Maharnav
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages682
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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