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________________ Shri Mah Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shei Katassagasul Gyanmandir रूपिणं बलिरूपिणम् // 1 // भैरवप्रीतिकामस्य दातुरापविनाशिने // भैरवबलिरुपाय बले तुल्यं नमोनमः // 2 // यज्ञार्थे पशवः मृष्टाः स्वयमेव स्वयंभुवा // अतस्त्वां घातयिष्यामि तस्माद्यज्ञे वधोऽवधः // 3 // " इति संपार्य प्रत्यंगं पूजयेत् // तथा च / “ॐ रुधिरवदनायै नमः / इति शिरसि // १॥ॐ चण्डिकायै नमः इति कपोले // 2 // ॐ चन्द्राकाम्यां नमः / इति चक्षुषोः॥३॥ ॐ बृहस्पतये नमः / इति कर्णयोः॥ 4 // ॐ सरस्व यै नमः / इति नासायाम् // 5 // ॐ उग्रदंतिकाय नमः / इति जिह्वायाम् / // 6 // ॐ महादतिकाय नमः / इति ग्रीवायाम् // 7 // ॐ पृथिव्यै नमः / इति उदरे // 8 // ॐ धर्माय नमः / इति जंघाचतु ठये // 9 // इति संपूज्य जलं गृहीत्वा "ॐ ह्रीं वरुणमंडलाधिष्ठितविग्रहाय पशुरूपभैरवाय इमं पशुं पोक्षामि स्वाहा” इति संप्रोक्ष्या ततस्तिलकुशजलं गृहीत्वा देशकालो संकीयांमुकगोत्रः श्रीमदमुकशाहं छागसमसंख्याकपंचवर्षावच्छिन्नश्रीमदबटुकौरवप्रीतिकामोऽ हमेताञ्छागान्यह्निदैवतान् श्रीमदटुकभैरवाय तुल्यं घातयिष्ये इति संपूज्य खड्गपूजां कुर्यात्॥तथा च / खगं पुरतो निधाय ॐ नीलं हयं समधिरुह्य पुरः प्रयांती नीलांशुकाभरणमाल्यविलेपनाढ्या // निद्रापुटेन भुवनानि तिरोदधाना खड्गायुधा भगवती परिपातु भक्तान् // M // 1 // " इति खड्गं ध्यात्वा "ॐ ह्रीं श्रीं नमो भगवति माहेश्वरि सर्वपशुजनमनश्चक्षुस्तिरस्करिणी कुरुकुरु स्वाहा // ॐ ह्रीं क्लीं ऐं। बाग्लौं तिरस्करिणी सकलजनवाग्वादिनी सकलपशुजनमनश्चक्षुःश्रोत्रजिह्वाधाणतिरस्करणी कुरुकुरु ठः ठः ठः स्वाहा इति मंत्रद्वयेन नमस्कृत्य 'ॐ ह्रीं ह्रीं खड्ग आं कालिकालि बजेश्वरि लोहदंडाना नमः' इति गंधादिभित्रिः संपूज्य खड्गोपरि सिंदूरादिना ह्रींकार विलिख्य “ॐ खड्गाय नमः" इति संपूज्य बलिकर्ण पशुगायत्रीं श्रावयेत् // तत्र मंत्रः॥"ॐ हीं बलिरूपाय विद्महे वटुकप्रियाय धी For Private And Personal Use Only
SR No.020472
Book TitleMantra Maharnav
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages682
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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