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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir मं० म० RDC कत्वा जलेन प्रोक्ष्य त्रिकोणातर्मायां (ह्रीं) विलिख्य “ॐ ह्रीं आधारशक्त्यै नमः" इति संपूज्य मूलेन त्रिपदाधारं प्रक्षाल्य त्रिकोणमध्ये पू०ख०१ तासंस्थाप्य “ॐ में वह्निमंडलाय दशकलात्मने शंखपात्रामनाय नमः // " इत्याधारं मपूजयेत् // ततः . ॐ क्लीं महाजलचराय हूँ। फट् स्वाहा पांचजन्याय नमः॥” इति मंत्रण क्षालितं शंखमाधारोपरि संस्थाप्य "ॐ अं मूर्यमंडलाय द्वादशकलात्मने शंखपात्राय नमः” इति शंख पूजयेत॥ततो मूलेन 'नमः' इति शंखे जलमापूर्य "ॐ मों सोममंडलाय पोडशकलात्मने शंखपात्रामृताय नमः” इति गंधादिभिः समपूज्याभिमंत्रयेत // नत्र मंत्रः // “ॐ शंखादी चन्द्रदैवत्यं कुक्षी वरुणदेवता // पृष्ठे प्रजापतिश्चैवमये गंगा सरस्वती // 3 // त्रिलोक्ये यानि नीर्थानि वासुदेवस्य चाज्ञया / शंखे तिष्टंति विप्रेन्द्र तम्माच्छंखं प्रपूजयेत् // 2 // " इत्यभिमंत्र्य प्रार्थयेत् / नत्र मंत्र "ॐ त्वं पुरा मागरोत्पन्नो विष्णुना विधृतः करे // निर्मितः सर्वदेवश्च पांचजन्य नमोस्तु ते॥"इति मंत्रार्थ // "ॐ पांचजन्याय विद्महे / पावमानाय धीमहि ॥तन्नः शंखः प्रचोदयात् // " इति शखगायत्रीमष्टया जपित्वा शंखमुद्रां प्रदर्शयेत॥ इति शंखस्थापनम् // अथ घंटा स्थापनप्रयोगः // देवदक्षिणतः घंटा संस्थाप्य नादं कृत्वा पूजयेत् // तथा च / “ॐ भूर्भुवः स्वः गरुडाय नमः" आवाहयामि सर्वोप.. पचारार्थ गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि नमस्करोमि // इत्यवाह्य "ॐ जगद्धने मंत्रमातः स्वाहा” इति मंत्रेण घंटास्थितगरुडं घटां च। संपूज्य गरुडमुद्रां प्रदर्शयेत् / / इति घंटा संस्थाप्य गंधाक्षतपुष्पादींश्च पूजोपकरणार्थ स्वदक्षिणपार्श्व निधाय मूलेन नमः इति जलेन / प्रोक्ष्य जलार्थ बृहत्पात्रं छत्रादर्शचामराणि च स्वबामे संस्थापयेत् // ततः स्वर्णादिनिर्मित यंत्रं मूर्ति वा ताभ्रपात्रे निधाय धृतेनास्यज्य] तदुपरि दुग्धधारी जलधारां च दत्त्वा स्वच्छवस्त्रेण संगोष्य आसनमंत्रण पृष्पाद्यासनं दत्त्वा पीटमध्ये संस्थाप्य देशकालौ संकीर्त्य मम ||212 // For Private And Personal Use Only
SR No.020472
Book TitleMantra Maharnav
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages682
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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