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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir 2 . . // 19 // मात्रतः // शुद्धिमामोति तम्मै ते पुनराचमनीयकम" // 2 // इत्याचमनं दत्त्वा मूलेन गंडूषार्थ जलं दद्यात // ५॥"ॐ पूगीफलं महार दिव्यं नागवल्लीदलैर्यतम् // एलाचूर्णादिकैर्युक्तं तांबूलं प्रतिगृह्यताम्"॥ 3 // इति तांबूलम्॥ 6 // "ॐ इदं फलं मया देव स्थापित त्यापितमूतं. पुरतस्तव // तेन मे मफलावानिर्भवेजन्मनिजन्मनि" // 3 // इति फलम् // 7 ॥"ॐ कदलीगर्भसंभृतं कर्पूरं च प्रदीपितम् / आराति यमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भव"॥३॥इति कर्पूरार्तिक्यम्॥८॥"ॐ यानि कानि च पापानि जन्मांतरकतानि वै // तानि सर्वाणि नश्यंत दक्षिणपदेपदे॥१॥” इति सप्तप्रदाक्षिणाः कृत्वा “ॐ प्रपन्नं पाहि मामीश भीतं मृत्युग्रहार्णवात"॥इति वदन साष्टांगं प्रणमेत्॥१॥ "ॐ नानासुगंधपुप्पाणि यथाकालोद्भवानि च॥ पुष्पांजलिं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर ॥१॥"इति पुष्पांजलिंः॥१०॥ इति पुष्पांजलि दत्त्वा ततः स्तुतिपाठेन स्तुत्वा बद्धांजलिः प्रार्थयेत् // तद्यथा // "ॐ ज्ञानतोज्ञानतो वाथ यन्मया क्रियते शिव // मम कृत्यमिदं सर्वमिति दे। व क्षमस्व मे"।। 1 // अपराधसहस्राणि क्रियतेहर्निशं मया // दामोध्यमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर // 2 // अपराधो भवत्येव सेवकस्य पदेपदे // कोपरः सहतां लोके केवलं स्वामिनं विना // 3 // भूमौ स्खलितपादाना भूमिरेवावलंबनम् / / त्वयि जातापराधानां त्वमेव शरणं शिव॥४॥इति बद्धांजलिः संप्राय ॐ यदुक्तं यदि भावेन पत्रं पुष्पं फलं जलम्॥निवेदितं च नैवेद्यं गृहाण मानुकंपय॥१॥"इति पठित्या. 5 देवस्य दक्षिणको पूजार्पणजलं दद्यात् // ततो मालामादाय सर्वदेवोपयोगिपद्धतिमार्गेण मालायाः संस्कारान् कृत्वा अशक्तश्चेत् “ॐ ही मालेमाले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिणि // चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे मिद्धिदा भव // 1 // " इति मालां संप्रार्थ्य "ॐ अविनं // 19 // कुरु माले त्वं सर्वकार्येषु सर्वदा” इति मंत्रेण दक्षिणहस्ते मालामादाय हृदये धारयन स्वेष्टदेवतां ध्यात्वा मध्यमांगुलिमध्यपर्वणि मंस्थाप्य For Private And Personal Use Only
SR No.020472
Book TitleMantra Maharnav
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages682
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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