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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir ॐ ज्ञा ज्ञानाय नमः // 14 // वायव्ये ॐ वै वैराग्याय नमः // 15 // ऐशान्ये ॐ ऐश्वर्याय नमः // 16 // पूर्वे ॐ अं अधर्माय नमः॥ 17 // दक्षिणे ॐ अं अज्ञानाय नमः॥१८॥ पश्चिमे ॐ अं अवैराग्याय नमः॥ 19 // उनरे ॐ अं अनैश्वर्याय नमः // 20 // पुनः पीठमध्ये / ॐ आं आनंदकंदाय नमः॥ 21 // ॐ सं संविन्नालाय नमः // 22 // ॐ सं सर्व तत्त्वकमलासनाय नमः॥ 23 // ॐ अं प्रकृतिमयपत्रेन्यो नमः // 24 // ॐ वि विकारमयकेसरायो नमः॥ 25 // ॐ पं पंचा शवर्णाढयकर्णिकान्यो नमः // 26 // ॐ अं अर्कमंडलाय द्वादशकालात्मने नमः // 27 // ॐ सों सोममंडलाय षोडशकलात्मने नमः // 28 // ॐ वं वह्निमंडलाय दशकलात्मने नमः // 29 // ॐ सं सत्त्वाय नमः // 30 // ॐ रं रजसे नमः // 31 // ॐ तं तमसे नमः // 32 // ॐ आं आत्मने नमः // 33 // ॐ पं परमात्मने नमः // 34 // ॐ अं अंतरात्मने नमः // 35 // ॐ ह्रीं ज्ञानात्मने नमः // 36 // ॐ मं मायातत्त्वाय नमः // 37 / / ॐ के कलातत्त्वाय नमः // 38 // ॐ वि विद्यातत्त्वाय पानमः // 39 // ॐ पं परतत्त्वाय नमः // 40 // इति पीठदेवताः संस्थाप्य प्रयोगोक्तनवपीठशक्तीः पूजयेत् // अथ शंखस्थापनप्र| बायोगः // देववामतः त्रिकोणमंडलं कृत्वा जलेन प्रोक्ष्य त्रिकोणांतर्मायां (ह्रीं) विलिख्य ॐ ह्रीं आधारशत्तयै नमः इति संपूज्य मूलेना त्रिपदाधारं प्रक्षाल्य त्रिकोणमध्ये संस्थाप्य ॐ मं वह्निमंडलाय दशकलात्मने शंखपात्राशनाय नमः // इत्याधारं संपूजयेत् // ततः ॐ क्ली महाजलचराय हुं फट् स्वाहा पांचजन्याय नमः इति मंत्रेण भालितं शंखमाधारोपरि संस्थाप्य ॐ अं सूर्यमंडलाय द्वादशकलात्मने / शंखपात्राय नमः इति शंख पूजयेत्॥ततो मूलेन नमः इति शंखे जलमापूर्य ॐ सों सोममंडलाय पोडशकलात्मने शंखपात्रामृताय नमः For Private And Personal Use Only
SR No.020472
Book TitleMantra Maharnav
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages682
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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