SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 305
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavirlan Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir म०म० अथ प्रातःकृत्यम पुरश्चरणदिवसे श्रीमत्साधकेन्द्रः प्रातःकालात्पूर्व दण्डव्यात्मके बाह्म मुहूर्ते चोत्थाय निद्रास्थानादहिर्निर्गत्य हस्तौ पादौ पू० ख०। पक्षाल्याचम्य रात्रिवस्त्रं परित्यज्यान्यवस्वं परिधाय शुद्धासन उपविश्य शिरसि सहस्रदलपंकजे कोटींदुप्रकाशपीठे श्रीगुरुं ध्यायेत् // शितं. // 13 // "आनंदमानंदकरं प्रसन्नं ज्ञानस्वरूपं निजबोधरूपम्॥योगन्द्रिमीडयं भवरोगवैयं श्रीमद्गुरुं नित्यमहं भजामि ॥१॥"इति ध्यात्वा मानसो तर०६ पचारैः संपूज्य "प्रातःप्रभृति सायांत सायादि प्रातरंततः॥यत्करोमि जगन्नाथ तदस्तु तब पूजनम्॥१॥” इत्यनेन मंत्रेण सर्व गुरवे विनि वेद्य तदाज्ञां गृहीत्वा शिवप्रातःस्मरणं कुर्यात् // शिवप्रातःस्मरणं यथा-"प्रातःस्मरामि भवभीतिहरं मुरेशं गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिके / शम् // खट्रांगशूलवरदाभयहस्तमीशं संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् // 1 // प्रातर्भजामि गिरिशं गिरिजार्धदेहं सर्गस्थितिप्रलयकारण N|मादिदेवम् // विश्वेश्वरं विजितविश्वमनोभिरामं संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् // 2 // प्रातर्भजामि शिवमेकमनंतमायं वेदांतेवद्यमखिल पुरुषं महांतम् // नामादिभेदरहितं पडभावशून्यं संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् // 3 // प्रातः समुत्थाय शिवं विचिंत्य श्लोकत्रयं येऽनुदिनं पठंति // ते दुःखजातं बहुजन्मसंचितं हित्वा पदं यांति तदेव शम्भोः // 4 // " इति प्रातःस्मरणं कृत्वा गुरुमंत्रदेवतात्मनामैक्यं विभाव्य , अजपाजपं गुरुं समर्पयेम् // अथाजपाजपसंकल्पः संक्षेपतः / “आधारे लिंगनाभौ हृदयसरसिजे तालुमूले ललाटे द्वे पत्रे षोडशारे / द्विदशदशदले द्वादशाः चतुष्के // वासांते वालमध्ये डफकठसहिते आदियुक्ते स्वराणां हंक्षं तत्त्वार्थयुक्तं सकलदलगतं वर्णरूपं नमामि // 1 // षट्शतं तु गणेशस्य षट्सहस्रं प्रजापतेः॥ षट्सहस्रं गदापाणेः षट्सहस्रं पिनाकिनः // 2 // आत्मनस्तत्सहस्रं च सहस्र परमात्मनः // सहस्रं श्रीगुरुभ्यश्च ह्येतानि विनियोजयेत् // 3 // हंसो गणेशो विधिरेब हंसो हंसो हरिईसमयश्च शंभुः॥ हंसोपि जीवःy For Private And Personal Use Only
SR No.020472
Book TitleMantra Maharnav
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages682
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy