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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassaga suyanmandir येत् / तथा च-तत्वलक्षं जपेन्मंत्र दीक्षितः शेववर्मना // तावत्संख्यामहस्राणि जुहुयात्यायसैः शुभैः // 1 // ततः सिद्धो भवेन्मंत्रः साधकाभीष्टसिद्विदः / इत्थं संपूजयेद्दवं सह नित्यशो जपेत // 2 // सर्वपापविनिर्मुक्तः प्राप्नुयाद्वांछितां श्रियम् // द्विसहस्र जपेद्रोगान्म च्यते नात्र संशयः // 3 // त्रिसहस्रं जपेन्मंत्र दीर्घमायुरवाप्नुयात् // सहस्रवृद्ध्या प्रजपेत्सर्वान्कामानवाप्नुयात् // 4 // आज्यान्विी तस्तिलैः शुद्धजयालक्षमादरात् // उत्पातजनितान्क्लेशान्नाशयेन्नात्र संशयः॥ शतलक्षं जपेत्साक्षाच्छिवो भवति मानवः॥ 5 // इति / शारदातिलकंक्तिशिवपंचाक्षरमंत्रप्रयोगः // अथ अदाक्षरीशिवमंत्रप्रयोगः (शारदातिलके) // मंत्री यथा--ह्रीं ॐ नमश्शिवाय ही इत्यष्टाक्षरो मंत्रः // अस्य विधानम्--ॐ अस्य श्रीशिवाष्टाक्षरमंत्रस्य वामदेव ऋषिः / पंक्तिच्छंदः / उमापतिर्देवता सर्वेष्टसिद्धये / विनियोगः // ॐ वामदेवर्षये नमः शिरसि / पंक्तिश्छंदसे नमः मुख 2 उमापतिदेवतायै नमः हृदि 3 विनियोगाय नमः सर्वांगे 4 इति ऋप्यादिन्यासः // ह्रीं ॐ अंगुष्ठाम्यां नमः / ॐ नं तर्जनीभ्यां नमः 2 ॐ मं मध्यमाभ्यां नमः 3 ॐ शि अनामिकाल्यां नमः ॐ वां कनिष्ठिकाभ्यां नमः ५ॐ यं करतलकरपृष्ठात्यां नमः 6 इति करन्यासः // ह्रीं ॐ हृदयाय नमः 1 ॐ नं शिरसे स्वाहा ॐ मंशिखायै वपट् 3 ॐ शिं कवचाय हुँ 4 ॐ वां नेत्रत्रयाय वौषट् 5 ॐ यं अस्त्राय फट 6 इति हृदयादिषडंगन्यासः // एवं न्यासं कृत्वा ध्यायत // "बंधूकसन्निभं देवं त्रिनेत्रं चन्द्रशेखरम् / / त्रिशूलधारिणं बंदे चारुहामं सुनिर्मलम् // 1 // कपालधारिणं देवं वरदानयहस्तकम् / / उमया सहितं शंभुं ध्यायेत्सोमेश्वर मदा // 2 // इति ध्यायेत् / ततः पीठादौ गचिते सर्वतोभद्रमंडले लिंगतोभद्र मंडले वा यूवात शिवे पीठे वामादिनवशक्तीः संपूज्य ततः स्वर्णादिनिर्मित यंत्रं मूर्ति वा ताम्रपात्रे निधाय घृतेनान्यज्य तदुपरि दुग्धधारा For Private And Personal Use Only
SR No.020472
Book TitleMantra Maharnav
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages682
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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