________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir कवाय हूँ॥४॥ ॐ श्री गो नेत्रत्रयाय वापट् // 5 // ॐ श्रः गः अस्त्राय फट् // 6 // इति षडंगानि पूजयेत॥ ततः पुष्पांजलि मादाय मूलमच्चायं // "अभीष्टमिद्धि मे देहि शरणागतवन्मल // भक्त्या समर्पये तस्य प्रथमावरणार्चनम् // 1 // " इति पठित्वा पुष्पांच जलिं च दत्या विशेषाद्विदं निक्षिप्य पृजिताम्तपिताः मंतु इति वदेत // इति प्रथमावरणम् / / 1 // देवदक्षिणपार्थे ॐ शंखाय नमः शंखश्रीपा० 1 // देवतावामे०॥ ॐ पानिधये नमः / पननिधिश्रीपा० 2 // इति पूजयत // नतोष्टदले पूज्यपूजकयोरंतरालं प्राची नदनुसारेण अन्या दिशः प्रकल्प्य दक्षहरूले तर्जन्यंगुष्ठायां गंधाक्षतपुष्पाणि गृहीत्वा प्राचीक्रमण अष्टसु दिक्षु // ॐ बलाय नमः / बलाः | श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः। इति सर्वत्र // 3 // ॐ बिमलाय नमः। विमलाश्रीपा 02 / / ॐ कमलायै नमः / कमलाश्रीपा० 3 // ॐ वनमालिकायै नमः। बनमालिकाश्रीपा०४॥ ॐ विभीपिकायै नमः। विजीपकाश्रीपा० 5 // ॐ मालिकाय नमः। मालिकाश्री पा०६॥ ॐ शांकर्य नमः। शांकरीश्रीपादुकां पृ०७ // ॐ वसुवालिकाय नमः। वसुबालिकाश्रीपा० 8 // इत्यष्टी शनीः पूजयेत। ततः पुष्पांजलिमादाय मूलमुच्चार्य। "अभीष्टसिद्धि में दहि शरणागतवत्सल।भन्या ममर्पय तुल्यं द्वितीयावरणाचनम॥३॥” इति पठित्वा पुष्पां जलिं च दत्त्वा पुजितास्तर्पिताः संतु इति वदेत्॥ इति द्वितीयावरणमानतो भूरे इन्द्रादिदशदिक्पालान बनायुधानि च पूजयेत्॥ इत्याय रणपूजां कृत्वा धपादिनमस्कारांत संपूज्य जपं कुर्य्यात // अस्य पुरश्चरणं चतुर्लक्षजपः // बिल्यसमिद्भिर्दशांशतो होमः // तनदशांशेन / तर्पणमार्जनब्राह्मणभोजनं च कुर्यात् // एवं कृते मंत्रः मिद्धो भवनि मिद्धे चैतन्मंत्र मंत्री प्रयोगान साधयेत // तथा च // "चतुर्लक्ष For Private And Personal Use Only