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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवुक ( २४ ) अवन्ती अर्बुक-एक देश, जिसे सहदेवने जीता था ( सभा० ३१ । ४७; २५ । ६१-६२ )। कुन्तिभोजके साथ युद्ध १४)। (द्रोण. ९६ । १८-२०)। भीमसेनके साथ युद्ध अर्बुद-(१) गिरिवजनिवासी एक नाग (सभा० २१ । (द्रोण. १०६ । १६-१७)। भीमसेनके साथ मायामय ९)। (२) आबू पर्वत (वन० ८२ । ५५)। युद्ध और उनसे परास्त होकर भागना (द्रोण० ५०८ । अर्यमा-बारह आदित्योंमें एक, माता अदिति और पिता १३-४२)। इसका दूसरा नाम शालकटकट' था। यह कश्यप हैं ( आदि. ६५ । १५, शान्ति० २०८ । घटोत्कचद्वारा मारा गया (द्रोण० १०९ । २२-३१)। (२) कौरवपक्षका एक श्रेष्ठ राजा, जो सात्यकिद्वारा मारा गया (द्रोण. १४० । १८)। (३) एक राक्षसराज, अर्वावसु-एक प्राचीन ऋषि, जो युधिष्ठिरकी सभामें जो अर्जुनसे पराजित हो युद्धका मैदान छोड़कर भाग गया विराजते थे (सभा०४।१०)। अर्वावसुकी तपस्या (द्रोण० १६७ । ३७-४७)। (४) एक राक्षस, द्वारा परावसुकी ब्रह्महत्याके पापसे मुक्ति । अर्वावसुद्वारा जटासुरका पुत्र; इसका दुर्योधनसे युद्ध के लिये आज्ञा माँगना सूर्यसम्बन्धी रहस्यमय वेदमन्त्रका अनुष्ठान तथा इससे (द्रोण० १७४ । ६-८)। घटोत्कचके हाथसे युद्ध में संतुष्ट हुए सूर्यदेवताका अर्वावसुको मनोवाञ्छित वरदान मारा जाना (द्रोण० १७४ । ३७-३८)। (वन० १३८ अ० मे)। हस्तिनापुर जाते समय मार्गमें इनका श्रीकृष्णसे भेंट करना ( उद्योग० ८३ । ६४ के अलम्बुषा-एक अप्सरा, जो महर्षि कश्यप और प्राधाकी बाद दाक्षि० पाठ)। उपरिचरके यज्ञमें इनका सदस्यता पुत्री थी (आदि० ६५ । ४९)। इसने अर्जुनके ग्रहण (शान्ति. ३३६ । ७)। ब्रह्मतेजसे सम्पन्न, जन्मोत्सवपर अन्य अप्सराओंके साथ आकर नृत्य किया लोकस्रष्टा तथा रुद्र आदिके समान प्रभावशाली ऋषियोंमें (आदि० १२२ । ६.)। इसने महर्षि दधीचको इनकी गणना (अनु. १५० । ३०-३२)। मोहित किया (शल्य० ५१ । ७-८)। अलकनन्दा-देवलोककी गङ्गा। गङ्गाजी जब देवलोकमें अलर्क-(१) काशी और करूपके अधिपति । ये बड़े विचरण करती हैं, तब हनका नाम अलकनन्दा होता है सत्यप्रतिज्ञ थे (बन० २५ । १३)। ये यमराजकी सभाके और जब पितृलोकमें बहती हैं, तब ये वैतरणी कहलाती एक सदस्य हैं (सभा०८।१८)। इन्होंने राज्य और हैं तथा इस लोकमें आकर इनका नाम गङ्गा होता है धनको त्यागकर धर्मका आश्रय लिया, मांस भक्षणका (आदि० १६९ । २२)। गढ़वाल जिलेकी अलकनन्दा निषेध किया ( अनु० ११५। ६४)। अपनी इन्द्रियोंपर नामवाली नदी--जो विष्णुगङ्गा (धवलगङ्गा या धौली) विजय पानेका प्रयत्न और इन्द्रियोंद्वारा उत्तर (आश्व० और सरस्वती नामक छोटी नदियोंकी संयुक्त धारासे बनी ३०। ५-२५)। ध्यानयोगद्वारा इन्हें परमसिद्धिकी है । यह गङ्गाकी सहायक नदी है ( हिंदी महाभारत प्राप्ति ( आश्व. ३० । २८-२९ ) । (२) एक परिशिष्ट पृष्ट ६)। भयंकर कीट, जिसने कर्णकी जाँघमें काटा था (शान्ति. ३। १३)। अलका-कुबेरकी नगरी और पुष्करिणी ( आदि० ८५ । ९; सभा० १०।८)। अलाताक्षी-स्कन्दकी अनुचरी मातृका (शल्य० ४६।८)। अलम्बतीर्थ-एक दिव्य तीर्थ, जहाँ गरुड़जी कच्छप और अलायुध-एक राक्षम, जो बकासुरका भाई और कौरवहाथीको लेकर गये ( आदि० ३९ । ३९ )। पक्षका योद्धा था (द्रोण० ९५ । ४६, १७६ । ६)। इसका घटोत्कचके साथ युद्ध (द्रोण०९६ । २७-२८)। अलम्बुष-(१) कौरवपक्षका योद्धा एक महारथी राक्षसराज, भीमसेन के साथ युद्ध करने के लि। इसका दुर्योधनसे आज्ञा जो राक्षस ऋष्यशृङ्गका पुत्र था ( उद्योग० १६७ । ३३; माँगना (द्रोण. १७६। ६-१०)। भीमसेनके साथ द्रोण. १०६ । १६ ) । प्रथम दिनके युद्ध में घोर युद्ध (द्रोण ० १७७ अ०में ) । घटोत्कचद्वारा घटोत्कचके साथ द्वन्द्वयुद्ध (भीष्म०४५। ४२-४५)। वध (द्रोण० १७८ । ३१)। सात्यकिद्वारा इसकी पराजय (भीष्म० ८२ । ४४-४५)। इरावान्के साथ युद्ध और इसके द्वारा उनका वध अलोलुप-धृतराष्ट्रका एक पुत्र ( आदि० ६७ । १०३ )। (भीष्म० ९० । ५६-७६)। अभिमन्युके साथ युद्ध भीमसेनद्वारा इसका वध (कर्ण० ८४ । ६)। और द्रौपदीपुत्रोंकी पराजय (भीष्म०१००।३१-५४)। अवगाह-एक वृष्णिवंशी योद्धा (द्रोण० ११ । २७)। अभिमन्युद्वारा इसका पराजित होना (भीम. १०१। अवन्ती-(अवन्ति) भारतका एक जनपद--मालवप्रदेश २८-२९)। सात्यकिके साथ द्वन्द्वयुद्ध (भीष्म० १११।। तथा उसकी राजधानी उज्जयिनी । (यह स्थान शिप्रा नदीके १-६) । घटोत्कचके साथ युद्ध (द्रोण.१४।४६- तटपर है और सात मोक्षदायिनी पुरियोंमेंसे एक है)(सभा० For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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