SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 141
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 128 जलण पु [ज्वलन] अग्नि, आग। हिमजलणसलिल। (भा.२६) जसु पुं दे] आहार। (लिं.२१)पुंस्चलिघरि जसु भुंजइ। (लिं.२१) जह अ [यथा] जिस तरह, जैसे, जिस प्रकार। (पंचा.३३, स.८, निय.४८, द.१०, सू.१८) जह राया ववहारा। (स.१०८) जह सक [हा] त्यागना, छोड़ना। (प्रव.७९,८१, चा.१३,१४, स.१८४,४११) ण जहदि णाणी उ णाणित्तं । (स.१८४) जहित्तु (सं.कृ.स.४११) जहण्ण वि [जघन्य] निष्कृष्ट, हीन, जघन्य, अत्यन्त कम। जम्हा दु जहण्णादो। (स.१७१) जहण्णादो (पं.ए.) -पत्त पुं [पात्र जघन्यपात्र । (द्वा.१८)-भाव पुं [भाव] जघन्यभाव सिणणाणचरित्तं ,जं परिणमदे जहण्णभावेण। (स.१७२) जहा अ [यथा] देखो जह। (स.२१८, प्रव.३०, सू.३) -कम न [क्रम] यथाक्रम, अनुक्रम, क्रम के अनुसार। जहाकमं सनासेण । (द.१) -कमसो अ [क्रमशः] यथाक्रम से, एक-एक करके। इय णायव्वा जहाकमसो। (बो.४) -खाद न [ख्यात] यथाख्यत, निर्दोषचरित्र,परिपूर्ण संयम संखेवेणं जहाखादा। (बो.५८) जंग्ग वि योग्य] यथायोग्य, उसी के अनुसार, यथानुरूप। पविसंति जहाजोग्गं। (प्रव. जे.८६) -बल न [बल] यथाशक्ति। तम्हा जहाबलं जोई। (मो.६२) जहेव अ [यथैव] जैसे ही, समान। (स.५७, १७६) बाला इत्थी जहेव पुरिसस्स । (स.१७४) जा अ [यावत्] जबतक,जो। (पंचा.१३९,स.१९,निय.६९, For Private and Personal Use Only
SR No.020450
Book TitleKundakunda Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherDigambar Jain Sahitya Sanskriti Sanskaran Samiti
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy