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वीतरागता से रहित देव। (भा.८) कुदेवमणुवाइए। (भा.८) -देवत्त वि (देवत्व] कुदेवत्व, कुदेवापना, कुदेवों की पर्याय, भवनत्रिक देवत्व। होऊण कुदेवत्तं, पत्तोसि अणेयवावारो। (भा.१६)-धम्म पुं [धर्मन्] कुधर्म,खोटाधर्म। (द्वा.३२) -मद न [मद] कुमद । (शी.१४) -मरण न [मरण] कुमरण, खोटामरण | (भा.३२) -लिंग न [लिङ्ग] कुलिङ्ग, मिथ्यालिङ्ग। (द्वा.३२) -सत्थ न शास्त्र] मिथ्याशास्त्र | कुणयकुसत्थेहिं मोहिओ जीवो। (भा.१४०) -सुद न [श्रुत] कुश्रुत, मिथ्याश्रुत। (शी.१४) कुंछा स्त्री दि] घृणा। (प्रव.चा.ज.वृ.२५) कुच्छिद/कुच्छिय वि [कुत्सित] निंदित, गर्हित, घृणित। (स.१४८, १४९, भा.१३९) कुच्छियतवं कुव्वतो,कुच्छियगइभायणं होई। (भा.१३९) कुठार न [कुठार] कुल्हाड़ी, कुठार। छिंदंति भावसमणा,
झाणकुठारेहिं भवरुक्खं । (भा.१२१) कुडिल वि [कुटिल] वक्र, टेढ़ा। (द्वा.७३) मोत्तूण कुडिलभावं।
(द्वा.७३) कुण सक [कृ] करना, बनाना। (स.७२, निय.८५,सू.३, भा.५) कुणदि कुणइ (व.प्र.ए.) कुणादि (व.प्र.ए.स.ज.वृ.८६) कुणंति (व.प्र.ब.मो.७८) कुण (वि. आ.म.ए.भा.१०५) कुणासु (वि.म.ए.मो.९६) कुणहि (वि.म.ए.भा.१३१) कुणह (वि.म.ब.निय. १८५) कुणिज्ज (वि.म.ए.भा.४८) कुणतो (व.कृ.भा.१३९) (हे. कृगेः कुण: ४/६५)
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