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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ख) उसी के कारण लोगों में एक भ्रान्त धारणा पैली है कि संस्कृत साहित्य में जो कथाएँ कही जाती हैं मानों वे ही रचयिता का लक्ष्य है। परन्तु ऐसी बात न तो पुरातन काल में ही थी और न विद्यमान काल में ही है। नोबल पुरस्कार विजेताओं के ग्रन्थों में भी कहानियों के द्वारा तत्कालीन समस्याओं के हल का प्रयास अधिकतर गोचर होता है। इस दृष्टि से इस पुस्तक की कथा वस्तु और संस्कृत से नागरी अनुवाद कर संस्कृत न जानने वालों के लिये ऐसा सुन्दर-सरस-तथा उपदेश पूर्ण ग्रंथ जनता के समक्ष रखने के प्रकाशक के सराहनीय प्रयत्न का मैं हृदय से अभिनन्दन करता हूं। ग्रंथ इतना सरल तथा सुबोध है कि मुझे किश्चित मात्र भी सन्देह नहीं कि जनता इसे अवश्य अपनावेगी। नागपुर १०-१२-१९५४ कुंजीलाल दूबे For Private And Personal Use Only
SR No.020435
Book TitleKamghat Kathanakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangadhar Mishr
PublisherNagari Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages134
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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