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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabarth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir कल्पसूत्र मळ ९७॥ 踪踪总感滋滋滋滋滋滋滋滋線逸郡郡球踪踪踪踪踪 वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं ओग्गहं ओगिण्हित्ता णं चिठ्ठिउं अहा-लंदमवि ओग्गहे ॥सू. ९॥ वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडि-नियत्तए ।सू. १०।। जत्थ नई निच्चोयगा निच्च-संदणा, नो से कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खा-यरियाए गंतुं पडि-नियत्तए ॥सू. ११ एरावई कुणालाए, जत्थ चक्किया सिया, एगं पायं जले किच्चा एगं पायं थले किच्चा-एवं चक्किया एवं णं कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खा-यरियाए गंतुं पडि-नियत्तए ।सू. १२॥ एवं च नो चक्किया, एवं से नो कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसं |जोयणं भिक्खा-यरियाए गंतुं पडिणियत्तए ।सू. १३।। वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थे-गइयाणं एवं वुत्त-पुव्वं भवइ-दावे भंते ! एवं से कप्पइ दावित्तए, नो से कप्पइ पडि-गाहित्तए ॥सू. १४|| वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थे-गइयाणं एवं वुत्त-पुव्वं भवइ-पडिगाहेहि भंते ! एवं से कप्पइ पडि-गाहित्तए, नो से कप्पइ दावित्तए ॥सू. १५|| वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थे-गइयाणं एवं वुत्त 球球球球球球球球球球球率準準準鄰鄉鄰都想都激激 For Private and Personal Use Only
SR No.020430
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages121
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Paryushan, & agam_kalpsutra
File Size9 MB
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