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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyarmandir श्री कल्पसूत्र छट्ठा हिन्दी व्याख्यान अनुवाद 1172।। किया ? जो इंद्र के भी पूज्य की आशातना की? यदि इंद्र इस बात को जान लेगा तो तेरे इस स्थान का भी 5 नाश कर देगा । यह सुनकर भयभीत हो प्रभु को पूजने लगा, गानतान सहित नाचने लगा । यह सुनकर लोगों LE ने विचारा कि दुष्ट ने प्रभु को मार डाला है और इसलिए गाता तथा नाचता है। X प्रभु ने कुछ कम रात्रि के जो चारों पहर तक वेदना सही थी उससे प्रातःकाल उन्हें क्षणवार निंद्रा आ गई * प्रभात होने पर लोग इकट्ठे हुए, उस वक्त वहां उत्पल और इंद्रशर्मा नामक अष्टांग निमित्त को जानेवाले नेमित्तक . भी आये । उन सबने प्रभु को दिव्य, गन्ध, पुष्पादिक से पूजित देख हर्षित हो नमस्कार किया । मा उत्पल बोला-हे प्रभो ! आपने रात्रि के अन्त में जो दश स्वप्न देखे हैं उनको फल आप तो जानते ही हैं तथापि - मैं कहता हूं कि जो आपने तालपिशाच को मारा इससे आप थोड़े ही समय में मोहनीय कर्म को नष्ट करेंगे । जो . आपने सेवा करता श्वेत पक्षी देखा इससे आप शुक्लध्यान को ध्यायेंगे । जो आपने सेवा करते हुए चित्रकोकिल को देखा इससे आप द्वादशांगी का अर्थ विस्तारित करेंगे । जो आपने सेवा करते गायों को देखा है इससे साधु, LC साध्वी, श्रावक और श्राविकारूप चतुर्विध संघ आप की सेवा करेगा । जो आपने समुद्र तरना देखा है इससे 140 'संसार सागर तरेंगे । जो आपने उदय होता हुआ सूर्य देखा इससे आप शीघ्र ही केवलज्ञान को प्राप्त करेंगे । जो आपने अपनी आंतों से मानुषोत्तर पर्वत को वेष्टित देखा है इससे आपकी तीन लोक में कीर्ति व्याप्त होगी । जो आपने अपने के को मंदराचल के शिखर पर चढ़ा देखा इससे आप सिंहासन पर बैठकर देव For Private and Personal Use Only
SR No.020429
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh
Publication Year2002
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Paryushan, & agam_kalpsutra
File Size18 MB
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