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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org 556 कालिदास पर्याय कोश पशुपतिरपि तान्यहानि कृच्छ्रादगमयद्रिसुतासमागमोत्कः । 6/95 पार्वती जी से मिलने के लिए इतने उतावले हो गए, कि तीन दिन भी उन्होंने बड़ी कठिनाई से काटे । स्थानमाह्निकमपास्य दन्तिनः सत्नकीविटपभंगवासितम्। 8/33 सई के वृक्षों से जहाँ गन्ध फैल गई है और जहाँ हाथी दिन में रहा करते थे । 2. दिवस : - [ दीव्यतेऽत्र दिव्+असच् क्विच] दिन, दिवस । कैश्चिदेव दिवसैस्तथा तयोः प्रेमगूढमितरेतराश्रयम् । 8/15 थोड़े ही दिनों में दोनों की चाल-ढाल से यह पता चलने लगा कि अब ये बहुत घुल-मिल गए हैं। अस्तमेति युगभग्न केसरैः संनिधाय दिवस महोदधौ । 8 / 42 दिन को समुद्र में डुबोकर और अपने उन घोड़ों को लिए हुए सूर्य अस्ताचल की ओर चले जा रहे हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ईश्वरोऽपि दिवसात्ययोचितं मन्त्रपूर्व मनु तस्थिवान्विधिम् । 8 /50 मंत्रों के साथ अपनी संध्या पूरी करके महादेव जी उन पार्वती के पास पहुँचे । यामिनीदिवस संधि संभवे तेजसि व्यवहिते सुमेरुणा । 8/55 सूर्यास्त हो जाने से रात और दिन का मेल कराने वाली साँझ का सब प्रकाश सुमेरु पर्वत के बीच में आ जाने से जाता रहा। 3. दिवा : - [ अव्यय ] [ दिव्+का] दिन, दिवस । दिवाकराद्रक्षति यो गुहासु लोनं दिवाभीतमिवान्धकारम्। 1/12 हिमालय की लम्बी गुफाओं में दिन में भी अंधेरा छाया रहता है, ऐसा लगता है मानो अँधेरा भी दिन से डरने वाले उल्लू के समान इसकी गहरी गुफाओं में जाकर दिन में छिप जाता है । स्वकाल परिमाणेनं व्यवसतरात्रिंदिवस्य ते। 2/8 आपने समय की जो माप बन रखी है, उसके अनुसार जो दिन-रात होते हैं। दिवापि निष्ठ्यूत मरीचि भासा बाल्यादनाविष्कृत लाञ्छनेन । 7/35 जो चन्द्रमा दिन में भी अपनी किरणें चमकाता था और जिसके छोटे होने के कारण उसमें कलंक दिखाई नहीं देता था । स प्रिया मुखरसं दिवानिशं हर्ष वृद्धि जननं सिषेविषुः । 8/90 प्रियतमा के सुख बढ़ाने वाले ओठों का रस दिन रात-पीने की इच्छा करने वाले शिवजी की यह दशा हो गई। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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