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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 529 कुमारसंभव उच्छ्वसत्कमलगन्धये ददौ पार्वती वदनगन्धवाहिने। 8/19 तब खिले हुए कमल की गंधवाले पार्वती जी के मुँह की फूंक पाने के लिए वे अपना नेत्र उठाकर उनके मुँह तक पहुँचा देते। पार्वतीमवचनामसूयया प्रत्युपेत्य पुनराह सस्मितम्।। 8/50 उन पार्वती जी के पास पहुंचे, जो चुप्पी साधकर रूठी हुई बैठी थीं। महादेव जी उनसे मुस्कराते हुए कहने लगे। तस्य तच्छिदुरमेखलागुणं पार्वतीरतम भून्न तृप्तये।। 8/83 पार्वती जी की करधनी भी टूट गई, फिर भी पार्वतीजी के साथ संभोग करके शंकर जी का जी नहीं भरा। 11. शैलराजतनया :-पार्वती, उमा, गौरी। शैलराज तनया समीप गामाललाप विजयामहेतुकम्। 3/43 पार्वती जी ने पास बैठी विजया से इधर-उधर की बेसिर-पैर की बातें छेड़ दीं। 12. शैलराज दुहिता :-पार्वती, उमा, गौरी। पाणिपीडनविधेरनन्तरं शैलराजदुहितुर्हरं प्रति । 8/1 विवाह हो जाने पर पार्वती जी यह तो चाहती थीं कि शिवजी से। 13. शैलसुता :-पार्वती, उमा, गौरी। तस्मै शशंस प्रणिपत्य नन्दी शुश्रूषया शैल सुतामुपेताम्।। 3/60 उनकी समाधि खुली देखकर नन्दी ने जाकर उन्हें प्रणाम करके कहा, कि आपकी सेवा करने के लिए पार्वती जी आई हुई हैं। 14. शैलात्मजा :-पार्वती, उमा, गौरी। शैलात्मजापि पितुरुच्छिरसोऽभिलाषं व्यर्थं समर्थ्य ललितां वपुरात्मनश्च। 3/75 पार्वती जी ने भी सोचा कि मेरे ऊँचे सिर वाले पिता का मनोरथ और मेरी सुन्दरता दोनों अकारथ हो गईं। 15. हिमाद्रि तनुजा :-पार्वती, उमा, गौरी। तस्मै हिमाद्रेः प्रयतां तनूजां यतात्मने रोचयितुं यतस्व। 3/16 अब तुम ऐसा यत्न करो कि समाधि में बैठे हुए महादेव जी के मन में हिमालय की कन्या पार्वती के लिए प्रेम उत्पन्न हो जाय। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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