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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 512 कालिदास पर्याय कोश 7. ईश्वर :-पुं० [ईष्टे इति, ईश+वरच् । यद्वा अहनुते व्याप्नोतीति । अश्धातोर्वरः उपाधायाईत्वं च] ईश्वर, शिव। न हीश्वर व्याहृतयः कदाचित्पुष्णन्ति लोके विपरीतमर्थम्। 3/63 ठीक ही था, ऐसे ऐश्वर्य शालियों की वाणी कभी झूठी थोड़े ही होती है। तामगौरवभेदेन मुनी श्चापस्यदीश्वरः। 6/12 शंकर जी ने अरुन्धतीजी को और ऋषियों को बिना स्त्री-पुरुष के भेद किए समान आदर से देखा। शब्दमीश्वर इत्युच्चैः सार्ध चन्द्रं बिभर्ति यः। 6/75 जिन्हें छोड़कर दूसरा कोई ईश्वर कहला नहीं सकता, जिसके माथे पर आधा चन्द्रमा बसा हुआ है। तद्गौरवान्मंगल मंडनश्रीः सा पस्पृशे केवलमीश्वरेण। 7/31 शंकरजी ने माताओं का आदर करने के लिए वे सब मंगल शृंगार की सामग्री छू भर दी, पहनी नहीं। तत्रेश्वरो विष्टर भाग्यथावत्स रत्नमयं मधुमच्च गव्यम्। 7/7 वहाँ आसन पर महादेव जी को बैठाकर हिमालय ने रत्न, अर्ध्य, मधु, दही दिए। ईश्वरोऽपि दिवसात्य योचितं मंत्र पूर्वमनुतस्थिवान्वधिम्। 8/50 मंत्रों के साथ अपनी संध्या पूरी करके महादेव जी। ईश :-त्रि० [ईष्टे इति, ईश+क] ईश्वर, शिव, महादेव। विवक्षता दोषमपि च्युतात्मना त्वयैक मीशं प्रतिसाधु भाषितम्। 5/81 आपने अपने दुष्ट स्वभाव से कहते-कहते कम से कम एक बात तो, उनके लिए ठीक कह दी। मातरं कल्पयन्त्वेनामीशो हि जगतः पिता। 6/80 महादेव जी संसार के पिता हैं, इसलिए पार्वती जी सबकी माता बन जायेंगी। 9. ईशान् :-पुं० [ईष्टे, ईश्+'ताच्छील्यवयोवंचन शक्तिषुचान शू] महादेव। तस्मिन्मुहूर्ते पुर सुन्दरीणामी शानसंदर्शन लालसा नाम्। 7/56 उसी समय महादेवजी के दर्शन के लिए चाव से भरी हुई नगर की सब सुंदरियाँ । 10. कपालि :-महादेव। कपालि वा स्यादथवेन्दुशेखरं न विश्वमूर्तेरवधार्यते वपुः। 5/78 संसार में जितने रूप दिखाई देते हैं, सब उन्हीं के होते हैं, चाहे गले में खोपड़ियों For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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