SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 397
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 862 कालिदास पर्याय कोश कुसुम्भरागारुणितैर्दुकूलैर्नितम्बबिम्बानि विलासिनीनाम्। 6/5 कामिनियों ने अपने गोल-गोल नितंबों पर कुसुम के लाल फूलों से रंगी रेशमी साड़ी पहन ली है। 2. ताम्र - [ तम् + रक्, दीर्घः] लाल। कनककमलकान्तैश्चारुताम्राधरोष्ठैः श्रवणतटनिषक्तैःपाटलोपान्तनेत्रैः। 5/13 सुंदर लाल-लाल ओठों वाले, लाल कोरों से सजी हुई बड़ी बड़ी आँखों वाले और सुनहरे कमल के समान चमकने वाले। ताम्रप्रवालस्तबकावनम्राश्चूतदुमाः पुष्पितचारुशाखाः। 6/17 लाल-लाल कोपलों के गुच्छों से झुके हुए और सुंदर मंजरियों से लदी हुई शाखाओं वाले आम के पेड़। आमूलतो विदुमरागतानं सपल्लवाः पुष्पचयं दधानाः। 6/18 जिन वृक्षों में कोंपले फूट निकली हैं, और जिनमें मूंगे जैसे लाल-लाल फूल नीचे से ऊपर तक खिल गए हैं। 3. पाटल - [पट् + णिच् + कलच्] पीतरक्त वर्ण, गुलाबी रंग, पाटल वृक्ष का फूल। कनककमलकान्तैश्चारुताम्राधरोष्ठैः श्रवणतटनिषक्तैः पाटलोपान्तनेत्रैः। 5/13 सुंदर लाल-लाल ओठों वाले, लाल कोरों से सजी हुई बड़ी-बड़ी आँखों वाले और सुनहले कमल के समान चमकने वाले। 4. रक्त - [ रञ्ज करणे क्तः] लाल, गहरा लाल रंग, लोहित वर्ण। सद्यो वसन्तसमयेन समाचितेयं रक्तांशुका नववधूरिव भाति भूमिः। 6/21 वसंत के दिनों में पृथ्वी ऐसी लग रही है, मानो लाल साड़ी पहने हुए कोई नई दुलहिन हो। 5. लोहित - [रुह् + इतन्, रस्य ल:] लाल, लाल रंग का। सफेनलालावृतवक्त्रसंपुटं विनिःसृतालोहितजिह्वमुन्मुखम्। 1/21 जिनके मुँह से झाग निकल रही है, और लार बह रही है वे अपना मुंह खोलकर अपनी लाल-लाल जीभें बाहर निकाले। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy