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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 810 कालिदास पर्याय कोश कनककमलकान्तैश्चारुताम्राधरोष्ठैः श्रवणतटनिषक्तैः पाटलोपान्त नेत्रैः। 5/13 स्त्रियों के सुंदर लाल-लाल ओठों वाले, लाल कोरों से सजी हुई बड़ी-बड़ी आँखों वाले और सुनहरे कमल के समान चमकने वाले। नेत्रेषु लोलो मदिरालसेषु गण्डेषु पाण्डुः कठिनः स्तनेषुः। 6/12 मदमाती आँखों में चंचलता बनकर, गालों में पीलापन बनकर, स्तनों में कठोरता बनकर। नेत्रे निमीलयति रोदिति याति शोकं घ्राणं करेण विरुणद्धि विरौति चौच्चैः। 6/28 अपनी आँख बंद करके रोते हैं, पछताते हैं, अपनी नाक बंद कर लेते हैं और फूट-फूटकर रोने लगते हैं। 4. लोचन - [लोच् + ल्युट्] आँख। मधुसुरभि मुखाब्जं लोचने लोध्रताने नवकुरबकपूर्णः केशपाशो मनोज्ञः। 6/33 आसव से महकता हुआ कमल के समान मुख, लोध जैसी लाल-लाल आँखें, नए कुरबक के फूलों से सजे हुए सुंदर जूड़े लोगों के मन में। 5. विलोचन - [ वि + लोच् + ल्युट्] आँख। विलोचनेन्दीवरवारिबिन्दुभिर्निषिक्तबिम्बाधर चारुपल्लवाः। 2/12 अपने बिंबाफल जैसे लाल और नई कोपलों जैसे कोमल होठों पर अपनी कमल जैसी आँखों से आँसू बरसाती हुई। नीलोत्पलैर्मदकलानि विलोचनानि भ्रूविभ्रमाश्च रुचिरास्तनुभि- स्तरङ्गैः। 3/17 नीले कमलों ने उनकी मदभरी आँखों को और छोटी लहरियों ने उनकी भौंहों की सुंदर मटक हो हरा दिया है। पंक 1. कर्दम - [ क + अम] कीचड़, दलदल, पंक। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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