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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 799 ऋतुसंहार यह हेमंत ऋतु आपको सुख दे, जिसमें पाला गिरता है और सारस बोलते हैं। न वायवः सान्द्रतुषारशीतला जनस्य चित्तं रमयन्ति सांप्रतम्। 5/3 न घनी ओस से ठंडा बना वायु ही लोगों के मन को इन दिनों (अच्छा लगता है) भाता है। तुषारसंघातनिपातशीतलाः शशाङ्कमाभिः शिशिरीकृताः पुनः। 5/4 घने पाले से कड़कड़ाते जाड़ों वाली, चंद्रमा की किरणों से और भी ठंडी बनी हुई रातों में। ईषत्तुषारैः कृतशीतहर्म्यः सुवासितं चारु शिरश्च चम्पकैः। 6/3 घरों की छतों पर ठंडी ओस छा गई है, चंपे के फूलों से सबके जूड़े महकने लगे 2. नीहार - [ नि + हृ + घञ्, पूर्वदीर्घः] कुहरा, पाला, भारी ओस। वायुर्विवाति हृदयानि हरन्नराणां नीहारपातविगमात्सुभगो वसन्ते। 6/24 वसंत में पाला तो पड़ता नहीं, इसलिए सुंदर वसंती पवन लोगों का मन हरता हुआ बह रहा है। 3. हिम - [ हि + मक्] ठंडा, शीतल, सर्द, ओसीला। पाकं व्रजन्ती हिमजातशीतैराधूयमाना सततं मरुद्भिः । 4/11 पाले से भरी हुई ठंडी वायु से हिलती हुई यह लता। निवेशितान्तः कुसुमैः शिरोरुहैर्विभूषयन्तीव हिमागमं स्त्रियः। 5/8 बालों में फूल गुंथे हुए स्त्रियाँ ऐसी लग रही हैं मानो जाड़े के स्वागत का उत्सव मनाने के लिए सिंगार कर रही हों। तृषा 1. तृषा - [ तृष् + क्विप्] प्यास, लालसा, उत्सुकता। मृगाः प्रचण्डातपतापिता भृशं तृषा महत्या परिशुष्कतालवः। 1/11 जलते हुए सूर्य की किरणों से झुलसे हुए जिन जंगली पशुओं की जीभ प्यास से बहुत सूख गई है। तृषा महत्या हतविक्रमोद्यमः श्वसन्मुहुर्दूरविदारिताननः। 1/14 For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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