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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋतुसंहार 797 2. सौदामिनी - [सुदामन् + अण् + ङीप्, पक्षे पृषो० साधुः] बिजली। नष्टं धनुर्बलभिदो सौदामिनी स्फुरति नाद्य वियत्पताका। 3/12 आजकल न तो बादलों में इंद्रधनुष रह गए हैं, न ही बिजली विजय पताका फहरा रही है। तनु 1. क्षाम - [१ + क्त] क्षीण, पतला, कृश, दुबला-पतला। अभिमुखमभिवीक्ष्यक्षामदेहोऽपि मार्गे मदनशरनिघातैर्मोहमेति प्रवासी। 6/30 परदेस में पड़ा हुआ यात्री एक तो यूँ ही बिछोह से दुबला-पतला रहता है, जब ये देखता है तो वह कामदेव के बाणों की चोट खाकर मूर्च्छित होकर गिर पड़ता 2. तनु - [ तन् + उ] पतला, दुबला, कृश, छोय, थोड़ा। स्तनेषु तन्वंशुकमुन्नतस्तना निवेशयन्तिप्रमदाः सयौवनाः। 1/7 ऊँचे-ऊँचे स्तनों वाली युवतियाँ स्तनों पर पतले-पतले कपड़े लपेटने लगी नितम्बबिम्बेषु नवं दुकूलं तन्वंशुकं पीनपयोधरेषु। 4/3 न अपने गोल-गोल नितंबों पर नये रेशमी वस्त्र ही लपेटती हैं, और न अपने मोटे-मोटे स्तनों पर महीन कपड़े ही बाँधती हैं। तन्वंशुकैः कुङ्कमरागगौरैरलं क्रियन्ते स्तनमण्डलानि। 6/5 स्तनों पर केशर में रँगी हुई महीन कपड़े की चोली पहन ली हैं। तनूनि पाण्डूनि मदालसानि मुहुर्मुहुर्जम्भणतत्पराणि। 6/10 उनके अंग दुबले और पीले पड़ जाते हैं, वे मद से अलसाई-सी हो जाती हैं और बार-बार जभाइयाँ लेती हैं। गुरूणि वासांसि विहाय तूर्णं तनूनि लाक्षारसरञ्जितानि। 6/15 मोटे वस्त्र उतारकर महावर से रँगे हुए महीन कपड़े पहनती हैं। तालु 1. जिह्व - [ ह्वे + ड द्वित्वादि] जीभ । For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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