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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ऋतुसंहार www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ताम्रप्रवालस्तबकावनम्राश्चूतदुमाः पुष्पितचारुशाखाः । 6/17 लाल-लाल कोपलों के गुच्छों से झुके हुए और सुंदर मंजरियों से लदी हुई शाखाओं वाले आम के पेड़ । रुचिरकनककातीन्मुञ्चतः पुष्पराशीन् 3. सहकार- [ सह + कारः] आम का पेड़ । आकम्पयन्कुसुमितः सहकारशाखा 795 मृदुपवनविधूतान्पुष्पिताँश्चूतवृक्षान् । 6/30 पवन के झोंके से हिलते हुए और सुंदर सुनहले बौर गिराने वाले, बौरे हुए आम के वृक्षों को सामने देखता है। चूतामोदसुगन्धिमन्दपवनः शृङ्गारदीक्षागुरुः कल्पान्तं मदनप्रियो दिशतु वः पुष्पागमां मङ्गलम् । 6 / 36 आम के बौरों की सुगंध में बसे हुए मंद-मंद पवन से यह शृंगार की शिक्षा देने वाला और काम का मित्र वसंत आप लोगों को सदा प्रसन्न रखे। विस्तारयन्परभृतस्यवचांसि दिक्षु । 6/24 आजकल मंजरियों से लदी आम की डालों को हिलाने वाला और कोयल के संदेशों को चारों ओर फैलाने वाला । कान्तावियोगपरिखेदितचित्तवृत्ति र्दृष्ट्वाऽध्वगःकुसुमितान्सहकारवृक्षान्। 6/28 अपनी स्त्रियों से दूर रहने के कारण जिसका जी बेचैन हो रहा है, वे यात्री जब मंजरियों से लदे हुए आम के पेड़ देखते हैं । समदमधुकराणां कोकिलानां च नादैः कुसुमितसहकारैः कर्णिकारैश्च रम्यः । 6/29 कोयल और मदमाते भौंरों के स्वरों से गूँजते हुए बौरे हुए आम के वृक्षों से भरा हुआ और मनोहर कौर के फूलों वाले । आकम्पितानि हृदयानि मनस्विनीनां For Private And Personal Use Only वातैः प्रफुल्लसहकारकृताधिवासैः । 6/34 बरे हुए आम के पेड़ों में बसे हुए पवन से मनस्विनी स्त्रियों के मन भी डिग जाते हैं।
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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