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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ऋतुसंहार www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बलाहकाश्चाशनिशब्दमर्दला : सुरेन्द्रचापं दधतंस्तडिद्गुणम् । 2/4 मृदंग के समान गड़गड़ाते हुए, बिजली की डोरी वाला इंद्र धनुष चढ़ाए हुए ये बादल । 789 अपहृतमिव चेतस्तोयदैः सेन्द्रचापैः पथिकजनवधूनां तद्द्द्वियोगाकुलानाम्। 2/23 हैं। बादलों में इंद्रधनुष निकल आया है, उन्होंने परदेश में गए हुए लोगों की उन स्त्रियों की सब सुध-बुध हर ली है, जो उनके बिछोह में व्याकुल 2. धनु [ धन् + उ ] धनुष । तडिल्लताशक्रधनुर्विभूषिताः पयोधरास्तोयभरावलम्बिनः । 2/20 - इंद्रधनुष और बिजली के चमकते हुए पतले धागों से सजी हुई और पानी के भार से झुकी हुई काली-काली घटाएँ । प्रफुल्लचूताङ्कुरतीक्ष्णसायको द्विरेफमालाविलसद्धनुर्गुणः । 6/1 फूले हुए आम की मंजरियों के पैने बाण लेकर और अपने धनुष पर भौंरों की पाँतों की डोरी चढ़ाकर । आम्री मञ्जुल मञ्जरी वरशरः सत्किंशुकं यद्धनुर्ज्या यस्यालिकुलं कलङ्करहितं छत्रं सितांशुः सितम् । 6 / 38 जिसके आम के बौर ही बाण हैं, टेसू ही धनुष हैं, और भौंरो की पाँतें ही डोरी हैं, उजला चंद्रमा ही निष्कलंक छत्र हैं। चित्त 1. चित्त [चित् + क्त] मन, हृदय, तर्क, बुद्धि । पदे पदे हंसरुतानुकारिभिर्जनस्य चित्तं क्रियते समन्मथम् । 1/5 कदम-कदम उठाने पर जो हंसों के समान रुनझुन करते बजा करते हैं, उन्हें देखकर लोगों का जी मचल उठता है । For Private And Personal Use Only सुतीक्ष्णधारापतनोग्रसायकैस्स्तुदन्ति चेतः प्रसभं प्रवासिनाम्। 2/4 अपनी तीखी धारों के पैने बाण बरसाकर परदेश में पहुँचे हुए लोगों का मन कसमसा रहे हैं।
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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