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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 768 कालिदास पर्याय कोश मन्द प्रभातपवनोद्गतवीचिमालान्युत्कण्ठयन्ति सहसा हृदयं सरांसि।3/11 जिनमें प्रातः काल के धीमे-धीमे पवन से लहरे उठ रही हैं, वे ताल अचानक हृदय को मस्त बनाए डाल रहे हैं। धुन्वन्ति पक्षपवनैर्न नभो बलाकाः पश्यन्ति नोन्नतमुखा गगनं मयूराः। 3/12 न बगुले ही अपने पंख हिला-हिलाकर वायु से आकाश को पंखा कर रहे हैं और न मोरों के झुंड ही मुँह उठाकर आकाश को देख रहे हैं। उत्कण्ठ्यत्यतितरां पवनः प्रभाते पत्रान्तलग्नतुहिनाम्बु विधूयमानः। 3/15 प्रातः काल पत्तों पर पड़ी हुई ओस की बूंदें गिराता हुआ पवन किसे मस्त नहीं बना देता। दुमाः सपुष्पाः सलिलं सपद्म स्त्रियः सकामाः पवनः सुगन्धिः। 6/2 सब वृक्ष फूलों से लद गए हैं, जल में कमल खिल गए हैं, स्त्रियाँ मतवाली हो गई हैं, वायु में सुगंध आने लगी है। रुचिर कनककांतीन्मुञ्चतः पुष्पराशीन्मृदुपवनविधूतान्पुष्पिताँश्चूतवृक्षान्। 6/30 मंद-मंद पवन के झोंके से हिलते हुए और सुन्दर सुनहले बौर गिराने वाले, बौरे हुए आम के वृक्षों को। रम्यः प्रदोष समयः स्फुटचन्द्रभासः पुँस्कोकिलस्य विरुतं पवनः सुगन्धिः। 6/35 लुभावनी साँझें, छिटकी चाँदनी, कोयल की कूक, सुगंधित पवन। चूतामोद सुगन्धिमन्दपवनः शृङ्गारदीक्षागुरुः कल्पान्तं मदनप्रियो दिशतु वः पुष्पागमो मङ्गलम्। 6/36 आम के बौरों की सुगंध में बसे हुए मंद-मंद पवन से यह शृंगार की शिक्षा देने वाला और काम का मित्र वसंत आप लोगों को सदा प्रसन्न रखे। मलय पवन विद्धः कोकिलालापरम्यः सुरभिमधुनिषेकाल्लब्धगन्ध प्रबन्धः। 6/37 मलय के वायु वाला, कोयल की कूक से जी लुभाने वाला, सदा सुगंधित मधु बरसाने वाला। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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