SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 263
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 728 कालिदास पर्याय कोश 2. मिथुन - जोड़ा, दंपती, यमज, मैथुन । नूनं यास्यत्यमरमिथुन प्रेक्षणीयामवस्थां। पू० मे0 18 वह पर्वत, देवताओं के दंपतियों को दूर से ऐसा दिखाई देगा, मानो। मुख 1. आनन - [ आ + अन् + ल्युट्] मुंह, चेहरा। नीतालोध्रप्रसवरजसा पाण्डुतामानने श्रीः। उ० मे० 2 अपने मुँहों को लोध के फूलों का पराग मलकर गोरा करती है। कर्णे लोलः कथयितुमभूदानन स्पर्श लोभात्। उ० मे० 45 तब वह तुम्हारा मुँह चूमने के लोभ से तुम्हारे कान में ही कहने को तुला रहता था। 2. मुख-[खन् + अच्, डित् धातोः पूर्व मुह्च] मुंह, चेहरा, मुखमंडल। यस्मात्सभ्रूभङ्ग मुखमिव पयो वेत्रवत्याश्चलोमिः। पू० मे० 26 नाचती हुई लहरों वाली वेत्रवती नदी का मीठा जल पीओगे, तब तुम्हें ऐसा लगेगा मानो तुम किसी कटीली भौंहो वाली कामिनी के ओठों का रस पी रहे हो। छायादानात्क्षण परिचितः पुष्पलावीमुखानाम्। पू० मे० 28 फूल उतारने वाली उन मालिनों के मुँह पर छाया करके थोड़ी सी जान-पहचान बढ़ाते हुए आगे बढ़ जाना। धारापातैस्त्वमिव कमलान्यभ्यवर्षनमुखानि। पू० मे० 52 शत्रुओं के मुखों पर उसी प्रकार बरसाए थे जैसे कमलों पर तुम अपनी जलधारा बरसाते हो। हस्तन्यस्तं मुखमसकलव्यक्ति लम्बालकत्वाद्। उ० मे० 24 चिंता के कारण गालों पर हाथ धरने से और बालों के मुंह पर आ जाने से उसका अधूरा दिखाई देने वाला मुँह। पूर्व प्रीत्या गतमभिमुखं संनिवृतं तथैव। उ० मे० 32 जैसे सुख के दिनों में थी, वैसी ही समझकर वह उन किरणों की ओर मुंह करेगी। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy