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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 712 www. kobatirth.org 2. नीप [ नी + प बा० गुणा भावः] कदंब वृक्ष । - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिदास पर्याय कोश नीपं दृष्ट्वा हरित कपिशं केसरैरर्धरूढैराविः । पू० मे० 22 उस समय अधपके हरे-पीले कदंब के फूलों पर मँडराते हुए । सीमन्ते च त्वदुपगमजं यत्र नीपं वधूनाम् । उ० मे० 2 वहाँ की वधुएँ वर्षा में फूल उठने वाले कदंब के फूलों से अपनी माँग सँवारा करती हैं । पंक्ति 1. पंक्ति [ पंच् + क्तिन्] कतार, श्रेणी । जह्नोः कन्यां सगरतनयस्वर्ग सोपान पङ्कितम् । पू० मे० 54 वे गंगाजी मिलेंगी, जिन्होंने सीढ़ियों की पंक्ति बनकर सगर के पुत्रों को स्वर्ग पहुँचा दिया | 2. श्रेणी [श्रि + णि, वा ङीप् ] रेखा, श्रृंखला, पंक्ति । हंस श्रेणीरचितरसना नित्य पद्मा नलिन्यः । उ० मे० 3 वहाँ बारहमासीं कमल और कमलिनियों को हंसों की पाँतें घेरे रहती हैं। पथ 1. पथ [पथ + क (धञार्थे)] रास्ता, मार्ग, प्रसार । कैलासद्विस किसलयच्छेदपाथेयवन्तः संपत्स्यन्ते नभसि भवतो राजहंसाः सहायाः । पू० मे० 11 राजहंस अपनी चोंचों में कमल की अगली डंठल लिए हुए कैलास पर्वत तक मार्ग में तुम्हारे साथ -साथ आकाश में उड़ते हुए जाएँगे । 2. पंथ - मार्ग, रास्ता, पथ । वक्रः पन्था यदपि भवतः प्रस्थितस्योत्तराशां । पू० मे० 29 उत्तर की ओर जाने में यद्यपि मार्ग कुछ टेढ़ा पड़ेगा । 3. मार्ग [ मार्ग + घञ्] रास्ता, राह, प्रसार । For Private And Personal Use Only मार्गं तावच्छृणु कथयतस्त्वत्प्रयाणानुरूपं । पू० मे० 13
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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