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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुमारसंभव उनकी आँखें लाल हो गईं और उन्होंने भौंहें तनाकर उस ब्रह्मचारी की ओर आँखें तरेरकर देखा । 489 शंखान्तरद्योति विलोचनं यदन्तर्निविष्टामलपिंगतारम् । 7/33 उनके माथे में पीली पुतली वाला जो चमकता हुआ नेत्र था । ऊरु मूल नखमार्गराजिभिस्तत्क्षणं हृत विलोचनो हरः । 18 / 87 नंगी जाँघों पर जो नखों के चिह्नों की पाँत दिखाई दे रही थी । उसे शिवजी एकटक होकर देख रहे थे । अग्नि 1. अग्नि :- [ अङ्गयन्ति अग्ग्रं जन्म प्रापयन्ति इति त्युत्पत्त्या हविः प्रक्षेपाधिकरणे गार्हपत्या वनीय दक्षिणाग्नि सभ्यावसथ्यौपासनाख्येषु षडग्निषु ] आग, आग का देवता, अग्नि । तत्राग्नि समित्स समिद्धं स्वमेव मूर्त्यन्तरमष्टमूर्तिः । 1 / 57 उसी चोटी पर शिवजी अपनी ही दूसरी मूर्ति अग्नि को समिधा से जगाकर । यद्द्ब्रह्म सम्यगाम्नातं यदग्नौ विधिना हुतम् । 7/17 भली प्रकार वेद पढ़ने का, विधिपूर्वक हवन करने का। आश्रमाः प्रविशदग्रधेनवो विभ्रति श्रियमुदीरिताग्नयः । 8 / 8 लौटकर आती हुई सुन्दर दुधारू गौओं से और हवन की जलती हुई अग्नि से, ये आश्रम कैसे सुहावने लग रहे हैं । भानुमग्नि परिकीर्ण तेजसं संस्तुवन्ति किरणोष्म पायिनः ।। 8 / 41 उस सूर्य की स्तुति कर रहे हैं, जिन्होंने इस समय अपना तेज अग्नि को सौंप दिया है। 2. अनल :- पुं० [ नास्ति अल: बहुदाह्य वस्तु दहनेऽपि तृप्तिर्यस्य सः । कृत्तिका नक्षत्र, वत्सरे, भगवति वासुदेवे] अग्नि, आग । वरेण शमितं लोकनलं दग्धुं हि तत्तपः ।। 2/56 उसकी तपस्या से सारा संसार जल उठता । For Private And Personal Use Only ददृशे पुरुषाकृति क्षितौ हरकोपानल भस्म केवलम् । 4 /3 महादेव जी के क्रोध से जली हुई पुरुष के आकार की एक राख की ढेर, सामने पृथ्वी पर पड़ी हुई है।
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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