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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मेघदूतम् 6. www. kobatirth.org 2. साँप । नाग - [ नाग + अण् ] हाथी, खं दिङ्नागानां पथि परिहरन्स्थूल हस्तावलेपान् । पू० मे० 14 आकाश में ठाठ से उड़ते हुए तुम दिग्गजों की मोटी सूँड़ों की फटकारों को ढकेलते हुए । नृत्तारम्भे हर पशुपतेरार्द्रनागाजिनेच्छां । पू० मे० 40 26. गण्ड 1. कपोल - [ कपि + ओलच् ] गाल । -- जब महाकाल तांडव नृत्य करने लगें तब । ऐसा करने से शिवजी के मन में जो हाथी की खाल ओढ़ने की इच्छा होगी, वह पूरी हो जाएगी। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूयो भूयः कठिन विषमां सादयन्तीं कपोलाद् आमोक्तव्योमयतिनखेनैकवेणीं करेण । उ० मे० 30 693 अपने बढ़े हुए नखों वाले हाथ से अपनी उस इकहरी चोटी के उन रूखे और उलझे हुए बालों को अपने गालों पर से बार-बार हय रही होगी। गण्ड - [ गण्ड् + अच्] गाल, कनपटी | गुरु 1. गंभीर - गंभीर, बहुत अधिक, भारी । गण्डस्वेदापनयनरुजाक्लान्त कर्णोत्पलानां । पू० मे० 28 जिनके कानों पर लटके हुए कमल की पंखुड़ियों के कनफूल उनके गालों पर बहते हुए पसीने से लग लग कर मैले हो गए होंगे। शुद्धस्नानात्परुषमलकं नूनमागण्डलम्बम् । उ० मे० 33 कोरे जल से नहाती होगी इसलिये उसके रूखे और बिना सँवारे हुए बाल उसके गालों पर लटककर । गण्डाभोगात्कठिनविषमामेकवेणीं करेण । उ० मे० 34 उलझी और बिखरी हुई चोटी को अपने बढ़े हुए नखों वाले हाथों से अपने भरे हुए गालों पर से बार-बार हटा रही होंगी। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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