SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 221
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 686 कालिदास पर्याय कोश फूले हुए कदंब के वृक्षों को देखकर ऐसा जान पड़ेगा, मानो तुमसे भेंट करने के कारण उनके रोम-रोम फहरा उठे हों। तत्र स्कन्द नियतवसतिं पुष्पमेघीकृतात्मा पुष्पासारैः स्नपयतु भवान्व्योम गङ्गाजलार्दैः। पू० मे० 47 वहाँ स्कन्द भगवान भी सदा निवास करते हैं, इसलिये तुम वहाँ पहुँचकर फूल बरसाने वाले बादल बनकर उनपर आकाशगंगा के जल से भीगे हुए फूल बरसाकर उन्हें स्नान करा देना। यत्रोन्मत्तभ्रमरमुखराः पादपा नित्यपुष्पा। उ० मे० 3 वहाँ पर सदा फूलने वाले ऐसें बहुत से वृक्ष मिलेंगे, जिन पर मतवाले भौरे गुनगुनाते होंगे। गत्युत्कम्पादलक पतितैर्यत्र मन्दार पुष्पैः पत्रच्छेदैः। उ० मे० 11 जब कामिनी स्त्रियाँ, अपने प्रेमियों के पास जल्दी-जल्दी पैर बढ़ाकर जाने लगती हैं, तब उनकी चोटियों में गुंथे हुए कल्पवृक्ष के फूल और पत्ते खिसककर निकल जाते हैं। पुष्पोद्भेदं सह किसलयैर्भूषणान् विकल्पान्। उ० मे० 12 कोमल पत्ते और फूल तथा ढंग-ढंग के आभूषण । विन्यस्यन्ती भुवि गणनया देहली दत्त पुष्पैः। उ० मे० 27 वह देहली पर जो फूल नित्य रखती चलती हैं, उन्हें धरती पर फैलाकर गिन रही होंगी। कुसुमशर 1. कुसुमशर - [कुष् + उम + शरः] कामदेव। नान्यस्तापः कुसुमशरजादिष्टसंयोगसाध्यात। उ० मे० 4 प्यारे के मिलने से दूर हो जाने वाली (विरह की, कामदेव) जलन को छोड़कर और किसी प्रकार की जलन वहाँ नहीं होती। 2. पञ्चबाण - [पच् + कनिन् + बाणः] कामदेव के विशेषण, कामदेव। दूरीभूतं प्रतनुमपि मां पञ्चबाणः क्षिणोति। उ० मे० 48 एक तो दूर रहने के कारण सूखा जा रहा हूँ, उसपर यह पाँच बाणों वाला कामदेव मुझे और भी सताये जा रहा है। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy