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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मेघदूतम् हे मेघ ! जब तुम थककर आम्रकूट पर्वत पर पहुँचोगे, तब वह प्रशंसनीय आम्रकूट पर्वत तुम्हें अपनी ऊँची चोटी पर ठहरावेगा । अन्तस्तोयं मणिमयभुवस्तुंगमभ्रंलिहाग्राः www. kobatirth.org प्रासादास्त्वां तुलयितुमलं यत्र तैस्तैर्विशेषैः । 30 मे० 1 यदि तुम्हारे भीतर नीलाजल है, तो उनकी धरती भी नीलम से जड़ी हुई है और यदि तुम ऊँचे हो तो उनकी अयरियाँ भी आकाश चूमती हैं। उज्जयिनी 1. अवन्ती - उज्जैन (एक नगर का नाम) । 2. उत्पल कुमुद । प्राप्यावन्तीनुदयन कथा कोविद ग्राम वृद्धान् - पूर्वोद्दिष्टामनुसर पुरीं श्री विशालाम् विशालाम् । पू० मे० 32 अवन्ति देश में पहुँचकर तुम धन धान्य से भरी हुई उस विशाला नगरी की ओर चले जाना, जिसकी चर्चा मैं पहले ही कर चुका हूँ और जहाँ गाँव के बड़े-बड़े लोग, महाराजा उदयन की कथा भली प्रकार जानते - बूझते हैं। 2. उज्जयिनी - उज्जैन (एक नगर का नाम) । वक्रः पन्था यदपि भवतः प्रस्थितस्योत्तराशां सौधोत्सङ्ग प्रणय विमुखो मा स्म भूरुज्जयिन्याः । पू० मे० 20 उत्तर की ओर जाने में यद्यपि उज्जयिनी वाला मार्ग कुछ टेढ़ा पड़ेगा, फिर भी तुम उस नगर के राज भवनों को देखना न भूलना । - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्पल 1. अम्भोज [ आप् (अम्भ्) + असुन् + जम्] कमल । हेमाम्भोज प्रसवि सलिलं मानसस्याददानः कुर्वन्कामं क्षणमुख पटप्रीतिमैरावतस्य । पू० मे० 66 तुम उस मानसरोवर का जल पीना जिसमें सुनहरे कमल खिला करते हैं, फिर सरोवर के मुहँ पर थोड़ी देर कपड़े-सा छाकर उसका मन बहला देना। [उत्क्रान्तः पलं मांसम् उद् + पल् + अच्] नीलकमल, कमल, - 659 - For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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