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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 646 www. kobatirth.org कालिदास पर्याय कोश अपना हाव-भाव कोमल लताओं को और अपनी चंचला चितवन हरिणियों को धरोहर बनाकर दे दी । सा संभवद्भिः कुसुमैर्लतेव ज्योतिर्भिरुद्यद्भिरिवत्रियामा। 7/21 जैसे फूल आ जाने पर लताएँ स्वयं भी खिल उठती हैं या जैसे तारे निकलने पर रात जगमगाने लगती हैं। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 2. वल्लरी : - स्त्री० [ वल्ल्+अरि वा ङीप् ] बेल, लता । अनपायिनि संश्रय दुमे गजभग्ने पतनाय वल्लरी । 4/31 भला हाथी की टक्कर से वृक्ष के टूट जाने पर उसके सहारे चढ़ी हुई लता क्या कभी बची रह पाती है। 3. वीरुत् : - बेल, लता । अपि त्वदावर्जित वारिसंभृतं प्रवालमासामनुबन्धिवीरुधाम् । 5/34 आपके हाथ से सींची हुई उन लताओं में कोमल लाल-लाल पत्तियों वाली, वे कोपलें तो फूट आई होंगी । ललाट 1. ललाट :- - [ लड्+अच् डस्य लः, ललमटति अट+अण् वा] ललाट, माथा, मस्तक । तस्य पश्यति ललाट लोचने मोघ यत्नविधुरारहस्यभूत् । 8/7 शिवजी भी ऐसे गुरु थे कि झट अपना ललाट का नेत्र खोल लेते और ये हार मानकर बैठ जातीं। 2. शङ्ख : [शम्+ ख] मस्तक की हड्डी, मस्तक, ललाट । शंखान्तरद्योति विलोचनं यदन्तर्निविष्टामलपिंगतारम् । 7/33 उनके माथे में पीली पुतली वाला, जो चमकता हुआ नेत्र था । विक्रम 1. विक्रम :- [ वि + क्रम्+घञ, अच् वा ] वीरता, शौर्य । युगपद्युगबाहुभ्यः प्राप्तेभ्यः प्राज्य विक्रमः । 2/18 एक साथ मिलकर आए हुए बड़ी-बड़ी बाँहों वाले शक्तिशाली देवताओं ने । 2. शक्ति :- [ शक् + क्तिन्] बल, योग्यता, ऊर्जा, पराक्रम, सामर्थ्य | संकल्पितार्थे वृितात्मशक्तिमाखण्डलः काममिदं बभाषे । 3/11 For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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