SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुमारसंभव कपाल नेत्रान्तरलब्ध मार्गैर्ज्योतिः प्ररोहैरुदितै शिरस्तः । 3/49 उस समय उनके सिर और नेत्र से जो तेज निकल रहा था । 4. प्रभा : - [प्र+भा+अङ्+टाप्] प्रकाश, दीप्ति, काँति, प्रकाश की किरण । तथा दुहित्रा सुतरां सवित्री फुरत्प्रभा मण्डलया चकासे । 1/24 वैसे ही तेजोमण्डल से भरे मुख वाली उस कन्या को गोद में पाकर मेना भी खिल उठीं। विजित्य नेत्र प्रतिघातिनीं प्रभामन्य दृष्टिः सवितारमैक्षत। 5/20 चकाचौंध करने वाले सूर्य के प्रकाश को भी जीतकर, वे सूर्य की ओर एक-टक होकर देखती रहने लगीं । ते प्रभा मण्डलैव्यम द्योतयन्तस्तपोधनाः । 6/4 स्मरण करते ही अपने तेजोमण्डल से उजाला करते हुए वे सातों तपस्वी । अंशुक 483 1. अंशुक :- [ अंशु+क- अंशवः सूत्राणि विषया यस्य ] कपड़ा, पोशाक । यत्रांशुकाक्षेप विलज्जितानां यदृच्छया किंपुरुषाङ्गनानाम् । 1/11 यहाँ की गुफाओं में किन्नरियाँ अपने प्रियतमों के साथ काम-क्रीड़ा करती रहती हैं, उस समय जब वे शरीर पर से वस्त्र हट जाने के कारण लजाने लगती हैं। यत्र कल्पदुमैरेव बिलोल विटपांशुकैः । 6/41 कल्पवक्ष की चंचल शाखाएँ ही उस नगर की झंडिया थीं। संतान काकीर्णमहापथं तच्चीनांशुकैः कल्पितकेतु मालम् । 7/3 बड़ी-बड़ी सड़कों पर कल्पवृक्ष के फूल बिछे हुए थे, दोनों ओर रेशमी झंडियाँ पाँतों में टंगी हुई थीं और द्वार-द्वार पर सोने के बन्दनवार बँधे हुए थे। व्याहृता प्रतिवचो न संदधे गन्तुमैच्छदवलम्बितांशुका । 8/2 ये इतना लजाती थीं कि शिवजी कुछ पूछते भी थे ये बोलती न थीं, यदि वे इनका आँचल थाम लेते तो, ये उठकर भागने लगती थीं। For Private And Personal Use Only शूलिनः करतल द्वयेन सा संनिरुध्य नयने हृतांशुका । 8/7 जब कभी अकेले में शिवजी इनके कपड़े खींचकर इन्हें उघाड़ देते, ये अपनी दोनों हथेलियों से शिवजी के दोनों नेत्र बन्द कर लेतीं।
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy