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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 610 कालिदास पर्याय कोश 2. शितिकण्ठआत्मा :-कार्तिकेय का विशेषण। तस्यात्मा शितिकण्ठस्य सैनापत्यमुपेत्य वः। 2/61 उन्हीं पार्वती जी से शंकर जी का जो पुत्र होगा, वही आप लोगों का सेनापति होगा। गुहा 1. गुहा :-[गुह्+टाप्] गुफा, कंदरा, छिपने का स्थान। दिवाकराद्रक्षति यो गुहास्तु लीनं दिवाभीतमिवान्धकारम्। 1/12 ऐसा लगता है, मानो अँधेरा भी दिन से डरने वाले उल्लू के समान गहरी गुफाओं में जाकर दिन में छिप जाता है। इत्यूचिवाँस्त मेवार्थं गुहामुखविसर्पिणा। 6/64 हिमालय के कह चुकने पर गुफाओं में से जो गूंज निकली। 2. दरी :-[स्त्री०] [पृ+इन्, दरि+ङीष्] गुफा, कंदरा, घाटी। वनेचराणां वनितासखानां दरीगृहोत्सङ्ग निषक्त भासः। 1/10 यहाँ के किरात लोग, जब अपनी-अपनी प्रियतामाओं के साथ उन गुफाओं में विहार करने आते हैं। गौर 1. गौर :-[वि.] [गु+र, नि०] श्वेत, पीला सा, पीत लाल रंग का। मुखैः प्रभा मण्डल गौरैः पद्माकरं चकुरिवान्तरीक्षम्। 7/38 अपने तेजो मण्डल की चमक से गोरे-गोरे मुख वाली सुन्दर माताओं के मुँह आकाश में ऐसे लग रहे थे, मानो किसी ताल में बहुत से कमल खिल गए हों। पाण्डु :-[वि.] [पण्ड्+कु ; ति० दीर्घ] पीत-धवल, सफेद सा, पीला। अन्योन्यमुत्पीडयदुत्पलाक्ष्याः स्तनद्वयं पाण्डु तथा प्रवृद्धम्। 1/40 उन कमल के समान आँखों वाली के गोरे-गोरे दोनों स्तन बढ़कर आपस में इतने सट गए थे कि। गौरव 2. 1. गौरव :-[गुरु+अण्] बोझ, भार, सम्मान, आदर, मर्यादा, श्रद्धा। प्रयोजनापेक्षितया प्रभूणां प्रायश्चलं गौरवमाश्रितेषु। 3/1 For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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